Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र सरकार के हालिया मंत्रिमंडल विस्तार में जगह न मिलने से नाराज एनसीपी (अजित गुट) के वरिष्ठ नेता और समता परिषद के फाउंडर छगन भुजबल ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार और कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल पटेल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने नासिक में समर्थकों से मुलाकात के दौरान कहा, "क्या मैं उनके हाथों का खिलौना हूं?" भुजबल ने शीतकालीन सत्र का बहिष्कार करते हुए नासिक पहुंचकर यह ऐलान किया कि वह जल्द ही अपनी भविष्य की रणनीति पर फैसला करेंगे।
मंत्री पद पर चर्चा का वादा अधूरा रहा
छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) ने कहा कि अजित पवार और प्रफुल पटेल ने उनसे मंत्री पद को लेकर चर्चा करने का वादा किया था, लेकिन कोई बातचीत नहीं हुई। उन्होंने कहा, "मुझे अजित पवार (Ajit Pawar) या प्रफुल पटेल के ऑफिस से कोई कॉल तक नहीं आया। मैं किसी के इशारों पर चलने वाला व्यक्ति नहीं हूं।"
राज्यसभा सीट का प्रस्ताव ठुकराया|
भुजबल ने बताया कि पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सीट का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने कहा, "मैं यवला विधानसभा सीट से चुना गया हूं। मेरे मतदाताओं ने मुझ पर विश्वास जताया है। मैं अभी विधानसभा से इस्तीफा देकर राज्यसभा नहीं जा सकता। यह मेरे मतदाताओं के साथ विश्वासघात होगा।"
शीर्ष नेतृत्व से खफा हैं छगन भुजबल
छगन भुजबल ने एनसीपी नेतृत्व पर संवादहीनता और उन्हें अनदेखा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "हर पार्टी का नेतृत्व निर्णय लेता है। जैसे बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना में एकनाथ शिंदे निर्णय लेते हैं, वैसे ही हमारे ग्रुप में अजित पवार फैसले लेते हैं। लेकिन मेरे साथ संवाद तक नहीं किया गया।"
भविष्य की रणनीति पर चर्चा
उन्होंने ऐलान किया कि वह पूरे राज्य के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से चर्चा करेंगे और उसके बाद अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। मैं यह पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि आखिर मुझे मंत्री पद क्यों नहीं दिया गया।"
पिछली घटनाओं का किया जिक्र
छगन भुजबल ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें नासिक से लोकसभा चुनाव लड़ने का सुझाव दिया था, लेकिन पार्टी ने उनके नाम की घोषणा करने में देरी की, जिसके चलते उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।
अंदरूनी कलह की ओर इशारा
छगन भुजबल के इस बयान से एनसीपी के अंदर बढ़ते असंतोष और दरार का संकेत मिलता है। उनका मंत्रिमंडल में शामिल न होना और इसके खिलाफ खुलकर बोलना पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है। इससे पार्टी की आंतरिक राजनीति और भविष्य की रणनीतियों पर असर पड़ सकता है।