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Live In Relationship: मुंबई में रेप के मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत पाने के लिए शख्स ने एक दस्तावेज दिखाया कि उसे तुरंत जमानत मिल गई। आप इस खबर को पढ़कर चौंक जाएंगे।

Live In Relationship: देश भर में मेट्रो सिटीज के साथ ही छोटे शहरों में भी लिव-इन रिलेशन आम बात हो गई है। लिव- इन में रहने वाली लड़कियों के द्वारा लड़कों पर रेप के केस दर्ज कराने के भी सैकड़ों मामले आए दिन सामने आते रहे हैं। लिव-इन में रेप का मामला एक बार फिर सामने आया है, लेकिन यह दूसरे मामलों से बिल्कुल अलग है। लड़के ने इस मामले में 11 महीने के लिए लिव-इन एग्रीमेंट बनवा रखा था, जिसके चलते उसकी जान बचते- बचते बच गई। 

मुंबई में एक 46 वर्षीय व्यक्ति पर लिव-इन पार्टनर ने रेप का केस दर्ज करवा दिया। इसके बाद व्यक्ति ने अग्रिम जमानत हासिल करने के लिए एक ‘लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट’ कोर्ट में पेश किया और उसको जमानत मिल गई। एग्रीमेंट में यह शर्त लिखी गई थी कि भविष्य में दोनों एक- दूसरे के खिलाफ किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज नहीं कराएंगे। लेकिन बाद में दोनों के बीच रिश्ते बिगड़े तो महिला ने अपने पार्टनर के खिलाफ रेप का केस दर्ज करवा दिया। इस एग्रीमेंट को देखने के बाद कोर्ट ने आरोपी को 29 अगस्त जमानत दे दी।

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‘रिलेशनशिप एग्रीमेंट की चल रही छानबीन
29 साल की महिला शिकायतकर्ता ने मुंबई की एक अदालत में कहा कि इसमें उसके हस्ताक्षर नहीं हैं। पुलिस ने बताया कि महिला बुजुर्गों की देखभाल का काम करने वाली केयर टेकर हैं। वहीं आरोपी एक सरकारी कर्मचारी है। महिला के एग्रीमेंट के बारे में दिए गए बयान को लेकर एग्रीमेंट की छानबीन चल ही है कि वह सही है या फर्जी है। महिला का आरोप है कि साथ में रहने के दौरान उसके साथी ने उसके साथ कई बार रेप किया। उस आदमी ने उससे शादी करने का वादा किया था, लेकिन बाद में मुकर गया। 

लिव इन एग्रीमेंट में क्या लिखा है?
इस लिव-इन एग्रीमेंट में खासकर 7 बिंदु हैं, जो 1 अगस्त 2024 से 30 जून 2025 तक के लिए था। इसमें लिखा है कि इस दौरान दोनों एक-दूसरे के खिलाफ यौन उत्पीड़न का कोई मामला दर्ज नहीं कराएंगे। महिला-पुरुष के साथ उसके घर पर रहेगी और यदि किसी भी मामले में उसे उसका व्यवहार गलत लगता है तो वे कभी भी अलग हो सकते हैं। मगर इसके लिए एक महीने का नोटिस देना होगा।

इसके चौथे पैरा में कहा गया है कि महिला के साथ रहने के दौरान उसके रिश्तेदार उसके घर नहीं आ सकते। महिला पुरुष को किसी भी तरह की मानसिक पीड़ा नहीं पहुंचाएगी। इसमें यह भी लिखा है कि महिला गर्भवती हो जाती है, तो पुरुष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। अगर महिला के उत्पीड़न से पुरुष को किसी भी तरह की मानसिक चोट पहुंचती है तो महिला को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

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