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हरियाणा में सियासत की कहानी देवीलाल, भजनलाल व बंसीलाल के बिना अधूरी है। कांग्रेस से राजनीति शुरू की व तीनों को अलग होना पड़ा। अब तीनों के परिवार भाजपा में हैं। 20 साल में हुड्डा ने कई बड़े नेताओं को चित किया।

Haryana Politics News, Mohan Bhardwaj। देवीलाल, भजनलाल व बंसीलाल हरियाणा की सियासत के वह चेहरे हैं, जिनके बिना हरियाणा में राजनीति की कहानी के चैप्टर अधूरे माने जाते हैं। हरियाणा की राजनीति में तीनों नेताओं की अपनी अलग पहचान रही है। देवीलाल आजादी के आंदोलन से राजनीति में आए और न केवल हरियाणा की राजनीति में विशेष पहचान बनाई, बल्कि देश की राजनीति में भी छाप छोड़ी। कांग्रेस से अपनी राजनीति शुरू करने वाले तीनों ही नेताओं का कांग्रेस से मोहभंग भी हुआ और अलग राह पकड़ी। देवीलाल व बंसीलाल तो सफल रहे, परंतु भजनलाल ऐसा करने में नाकाम रहे। 2005 में कांग्रेस की कमान भूपेंद्र हुड्डा के हाथ में आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल सहित कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़ने को विवश हुए। उनमें अब किरण का नाम भी जुड़ गया है।

कैसी बदली कांग्रेस की सियासत

भूपेंद्र हुड्डा से पहले हरियाणा कांग्रेस में भजनलाल का व र्चस्व रहा। 2005 में भजन लाल की अगुवाई में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने जीत के बाद भूपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाकर सभी को चौका दिया। पार्टी के फैसलें से खफा भजनलाल ने बेटे कुलदीप के साथ पार्टी छोड़ दी तथा हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया। हुड्डा के आने के बाद भजनलाल के साथ शुरू हुआ सीनियर नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला आज भी जारी है। 2005 में भजनलाल द्वारा शुरू की गई इस सूची में 2014 के चुनाव से पहले चौ. बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत सिंह, धर्मबीर, रमेश कौशिक जैसे कई नेताओं के नाम जुड़ गए। 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर और 2024 के विस चुनाव से पहले सीएलपी लीडर रही किरण व श्रुति चौधरी के नाम इस सूची में जुड़ गए।

एसआरके गुट होगा कमजोर

2014 के चुनाव में मिली हार के बाद एसआरके गुट (कुमारी सैलजा, किरण चौधरी व रणदीप सुरजेवाला) पार्टी में हुड्डा को चुनौती देता रहा है। किरण चौधरी के पार्टी छोड़ने के एसआरके गुट के हुड्डा के खिलाफ मुहिम भी कमजोर होगी। हालांकि इस गुट को अब 2024 के लोस चुनाव से पहले पुन पार्टी में लौटे पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह से उम्मीद है। दोबारा कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद हुड्डा ने बीरेंद्र सिंह को पहला झटका हिसार से बेटे बृजेंद्र सिंह का टिकट कटवाकर दिया है। जिसके बाद से बीरेंद्र सिंह एसआरके गुट से नजदीकी बढ़ाते नजर आए। किरण भी भिवानी महेंद्रगढ़ से बेटी श्रुति का टिकट कटने के बाद हुड्डा के प्रति अधिक मुखर हुई थी।

तीन लाल और चार मुख्यमंत्रियों का परिवार

कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरूआत करने वाले हरियाणा के तीनों लाल का परिवार अब भाजपा के झंड़े के नीचे इकट्ठा हो गया है। पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह को भाजपा ने 2024 में हिसार से लोकसभा का चुनाव लड़वाया। चुनाव से पहले ही रणजीत ने भाजपा ज्वाइन की थी। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई, पुत्रवधू रेणुका बिश्नोई व पौत्र भव्य बिश्नोई और अब पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी व पौत्री श्रुति चौधरी भी भाजपा में शामिल हो गई हैं। अहीरवाल के कद्दावर नेता रहे एवं स्वतंत्रता सेनानी राव तुलाराम के वंशज पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत सिंह व पौत्री आरती राव 2014 से ही भाजपा में हैं। />

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