Udaipur City Palace clash: राजस्थान के उदयपुर में सोमवार (25 नवंबर) की रात उदयपुर सिटी पैलेस में झड़प का मामला सामने आया। भाजपा विधायक और मेवाड़ राजपरिवार के नए प्रमुख विश्वराज सिंह को पैलेस में प्रवेश से रोक दिया गया। विश्वराज सिंह के समर्थकों और सिटी पैलेस प्रबंधन के बीच विवाद बढ़ गया। देखते-देखते पत्थरबाजी होने लगे। पत्थरबाजी में तीन लोग घायल हो गए। बता दें कि विश्वराज सिंह मौजूदा समय में नाथद्वारा के विधायक हैं।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को काबू किया। पुलिस ने फिलहाल विवादित जगह को कुर्क कर दिया है। वहां एक रिसीवर की नियुक्ति कर दी गई है बता दें कि सिटी पैलेस को विश्वराज सिंह के चाचा और चचेरे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ द्वारा संचालित किया जाता है। अरविंद सिंह मेवाड़ सिटी पैलेस परिसर में ही रहते हैं।
पिता की मौत के बाद विश्वराज सिंह की ताजपोशी
सोमवार सुबह चित्तौड़गढ़ किले में परंपरागत तरीके से विश्वराज सिंह को मेवाड़ राजपरिवार का नया राजा घोषित किया गया। विश्वराज सिंह का राजतिलक समारोह चित्तौड़गढ़ के फतह प्रकाश महल में हुआ।विश्वराज सिंह की ताजपोशी हुई। विश्वराज सिंह को गद्दी पर बैठाने की रस्म पूरी की गई। इसके बाद वह अपने समर्थकों के साथ उदयपुर के सिटी पैलेस में धूणी दर्शन के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें महल के अंदर नहीं जाने दिया गया।
शाही परंपरा का पालन नहीं कर सके विश्वराज सिंह
विश्वराज सिंह के पिता और मेवाड़ राजघराने के पूर्व राजा महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। लेकिन, इस ताजपोशी के बाद पारिवारिक विवाद खुलकर सामने आ गया। विवाद बढ़ने, पत्थरबाजी और नारेबाजी होने की वजह से विश्वराज सिंह राजपरिवार के परंपराओं का पालन नहीं कर सके। विश्वराज सिंह को बिना धूणी दर्शन के लौटना पड़ा। बता दें कि देश में राजशाही खत्म होने के बाद भी कई शाही परिवार प्रतिकात्मक तौर पर राजतिलक से जुड़ी रस्में निभाते हैं।
विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह क्यों कर रहे हैं विरोध
विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह ने पहले ही कानूनी नोटिस भेजकर पैलेस में प्रवेश को लेकर आपत्ति जताई थी। जब ताजपोशी के बाद विश्वराज सिंह महल परिसर जाने लगे तो उन्हें महल के द्वार पर ही रोक दिया गया।अरविंद सिंह ने का कहना है कि विश्वराज सिंह की मेवाड़ राजघराने का उत्तराधिकारी घोषित करना गैरकानूनी है। अरविंद सिंह का कहना है कि मेवाड़ राजघराना एक ट्रस्ट द्वारा संचालित होता है। ऐसे में गद्दी का अधिकार मेरा और मेरे बेटे का है।
Udaipur: A dispute within the former royal family turned violent as supporters of MLA Vishvaraj Singh clashed with City Palace representatives, leading to stone-pelting.
— IANS (@ians_india) November 25, 2024
The conflict arose over access to the Dhuni Mata site for rituals. Vishvaraj Singh has been at the site with… pic.twitter.com/xQQUy29qFo
पैलेस के बाहर प्रदर्शन और तनाव
सिटी पैलेस के बाहर विश्वराज सिंह के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की। कुछ समर्थकों ने पैलेस के अंदर जबरन घुसने की कोशिश की, जिससे माहौल और बिगड़ गया। पत्थरबाजी की घटना के बाद पुलिस ने गेट पर कड़ी सुरक्षा तैनात कर दी। तनावपूर्ण माहौल के बावजूद, किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है। बता दें कि मेवाड़ राजपरिवार महाराणा प्रताप का वंशज है।
पुलिस की कार्रवाई के बाद स्थिति नियंत्रण में
घटना के बाद पुलिस ने पैलेस के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी। स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विवाद सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। झड़प में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है। अधिकारियों ने राजपरिवार के बीच के विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाने की अपील की है। बता दें कि मेवाड़ राजपरिवार में विरासत को लेकर लंबे समय से लड़ाई चल रही है।
राजपरिवार की विरासत पर टकराव
मेवाड़ राजपरिवार में बीते कई साल से विवाद चल रहा है। यह विवाद संपत्ति और पारिवारिक अधिकारों को लेकर है। महाराणा भगवत सिंह के बेटों, महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच यह विवाद चल रहा है। राजमहल, जमीन और अन्य संपत्तियों के बंटवारे को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच सहमति नहीं है। साल 1983 में महेंद्र सिंह मेवाड़ ने अपने छोटे भाई अरविंद सिंह और परिवार के दूसरे सदस्यों के खिलाफ संपत्ति बंटवारे का मामला भी दायर किया था।
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कब से बढ़ा मेवाड़ राजघराने में विवाद
मेवाड़ राजघराने में विवाद बढ़ने की शुरुआत 1955 में हुई। उस समय भगवत सिंह मेवाड़ ने अपनी संपत्तियों को बेचने या लीज पर देने का फैसला किया था। इससे उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह ने नाराज होकर कानूनी कार्रवाई की थी। इसके बाद, भगवत सिंह ने अपनी वसीयत में छोटे बेटे अरविंद को संपत्तियों का एक्ज्यूक्यूटर बना दिया था।
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कोर्ट में भी पहुंच चुका है शाही परिवार का विवाद
उदयपुर के शंभु निवास पैलेस और दूसरी संपत्तियों पर अधिकार को लेकर मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है। हाल ही में अरविंद सिंह मेवाड़ को राहत मिली। कोर्ट ने संपत्ति में परिवार के दूसरे सदस्यों को हिस्सेदारी देने के फैसले पर रोक लगा दी है, जिससे अरविंद सिंह का इन संपत्तियों पर अस्थायी अधिकार बरकरार है।