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Navratri Special: अगर आप भी नवरात्र में घर बैठे शक्तिपीठों का दर्शन करना चाह रहे हैं, तो हरिभूमि.कॉम आपके लिए प्रत्येक दिन विशेष मंदिरों का दर्शन कराएगा।

Navratri Special: हिंदू कैलेंडर के अनुसार गुरुवार (3 अक्टूबर) से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है। इस दौरान राजस्थान के शक्तिपीठों और देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है। अगर आप भी घर बैठे विशेष तीर्थस्थलों का दर्शन करना चाहते हैं तो, हरिभूमि.कॉम प्रत्येक दिन आपको प्रसिध्द मंदिर का दर्शन कराएगा। पहले दिन आपको अम्बिका शक्तिपीठ के बारे में बताएंगे। जो राजस्थान ही नहीं पूरे देश का काफी प्रसिध्द और प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है।

अम्बिका शक्तिपीठ
यह शक्तिपीठ राजस्थान का काफी प्रसिध्द है। जो विराट नगर कस्बे के पापड़ी गांव में अरावली की पहाड़ियों पर बसा है। इस शक्तिपीठ में मां अंबिका की पूजा होती है। मंदिर को मनसा माता मंदिर ने नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को 41वां शक्तिपीठ माना जाता है।

Ambika Shaktipeeth Temple Virat Nagar
Ambika Shaktipeeth Temple Virat Nagar

कैसे बना शक्तिपीठ
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव का विवाह प्रजापति दक्ष की बेटी देवी सती से हुआ था। इस दौरान प्रजापति दक्ष ने अपने राज्य में यज्ञ का बृहद आयोजन करवाया। जिसमें भगवान शंकर और देवी सती को छोड़कर सभी को बुलाया गया। देवी सती को जब इस बात की जानकारी लगी तो वह बिना निमंत्रण के वहां पहुंच गईं। इस दौरान उन्हें काफी अपमान भी झेलना पड़ा। अपमान देख वह स्वंय को यज्ञ में भस्म कर लिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शव को 51 भागों में विभाजित कर दिया। उनके शरीर के अंग जहां गिरे वहां शक्ति पीठ बन गई। यहां पर देवी सती के बाएं पैर की अंगुलियां गिरी थी।

मान्यता 
मान्यता है कि यहां बाएं पैर की 4 अंगुलियां गिरी थीं। मंदिर में 'मां अंबिका' और भैरव के स्वरूप में भगवान शिव 'अमृतेश्वर' की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां स्वयं भगवान श्रीकृष्ण भी पवित्र भूमि पर पधारे थे। मान्यता है कि मंदिर में दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पुराणों के अनुसार यहां पर पांडवों ने भी अज्ञातवास का समय बिताया था। इसके अलावा मंदिर को लेकर कई किवंदती हैं कि प्राचीन काल में जब भी इलाके में कोई संकट आने वाला होता था, तो माता रानी पहले ही लोगों को सचेत कर दिया करती थी।

हजारों साल पुराना है मंदिर
मंदिर के गर्भगृह का आकार गोलाकार बनाया गया है। वहीं बाहर की दीवारों पर शक्तिपीठों के निर्माण की कथा अंकित है। जहां मंदिर बना है उस गांव का प्राचीन नाम था पांव-पडी (देवी के जहां पांव पड़े), था जो, अब बदलकर पापडी हो गया है। ASI सर्वे में यहां पर आदिमानव काल की भी कई पेंटिंग्स मिली हैं। जो हजारों साल पुरानी हैं।

Ambika Shaktipeeth Temple Virat Nagar 2
Ambika Shaktipeeth Temple Virat Nagar

नवरात्रि पर भजन का विशेष आयोजन
वैसे तो यहां पर सालभर काफी भीड़ होती है, लेकिन नवरात्र के समय विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान यहां लाखों की तादात में श्रध्दालु दर्शन के लिए आते हैं। दर्शन के लिए आए श्रध्दालु ज्यादातर माथे पर लाल रंग की चुन्नी लगाकर मां का दर्शन करते हैं। नवरात्र के दिनों में विशेष भजन का भी आयोजन किया जाता है जो, भक्तों का मन मोह लेते हैं

मंदिर तक कैसे पहुंचे?
यह राजधानी जयपुर से करीब 90 किमी. दूरी पर स्थित है। जिसमें पहुंचने के जयपुर-दिल्ली नेशनल हाईवे से अलवर की ओर 25 किमी. की दूरी पर विराट नगर कस्बा पड़ता है। यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क बनाई गई है। अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं, तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर में है। जयपुर से आप बस में सफर कर आसानी से शक्तिपीठ का दर्शन कर सकते हैं।

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