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Rajasthan Weather Update: राजस्थान में मानसून का आखिरी दौर शुरू हो गया। बारिश का दौर थमने के साथ ही मौसम साफ रहने लगा है। मौसम विशेषज्ञों ने अगले एक सप्ताह में राजस्थान में कहीं भी तेज बारिश होने का अनुमान नहीं जताया है।

Rajasthan Weather Update: राजस्थान में मानसून का आखिरी दौर शुरू हो गया। बारिश का दौर थमने के साथ ही मौसम साफ रहने लगा है। मौसम विशेषज्ञों ने अगले एक सप्ताह में राजस्थान में कहीं भी तेज बारिश होने का अनुमान नहीं जताया है, लेकिन मौसम विभाग (IMD) के अनुसार 27 सितंबर से एक बार फिर बारिश का सिलसिला शुरू हो जाएगा। जो 3 अक्टूबर तक रहेगा। वहीं, सर्दी (Winter) को लेकर लोगों को पहले ही जानकारी दे दी गई है कि इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने की पूरी संभावना है।

अधिकांश हिस्सों में साफ रहा मौसम
पिछले 24 घंटे के दौरान राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में मौसम साफ रहा। जयपुर, भरतपुर, अजमेर, कोटा, जोधपुर के साथ बीकानेर और उदयपुर संभाग के कुछ हिस्सों में दिनभर बादल छाए, लेकिन बारिश नहीं हुई। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक मानसून टर्फ लाइन तो अपनी नॉर्मल पॉजिशन पर बरकरार है, लेकिन कोई स्ट्रांग सिस्टम इन दिनों विकसित नहीं हो रहा।

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ऐसा रहेगा आगामी दिनों में मौसम का हाल
पश्चिमी राजस्थान और कच्छ के कुछ हिस्सों से 23 सितंबर के आसपास दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल बन रही हैं। मानसून की ट्रफ लाइन अब बीकानेर से होकर गुजर रही है। दक्षिण-पूर्वी राजस्थान और आसपास के इलाकों में चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र अब उत्तर-पूर्वी राजस्थान पर बना हुआ है। इसके चलते राज्य में बारिश की गतिविधियों में कमी आने की संभावना है और पूर्वी राजस्थान में कुछ स्थानों पर मेघगर्जन के साथ हल्की बारिश की गतिविधियां दर्ज होने की संभावना है। 27 से 3 अक्टूबर तक राजस्थान में बारिश की गतिविधियां फिर से शुरू होने की उम्मीद है।

औसत से 58 फीसदी ज्यादा बरसा मानसून
इस सीजन में राजस्थान में मानसून औसत से 58 फीसदी ज्यादा बरसा है। राजस्थान में 1 जून से 20 सितंबर तक औसत बारिश 424.4 MM होती है, जबकि इस सीजन में अब तक 671.7 एमएम बारिश हो चुकी है। पूर्वी राजस्थान के बजाय पश्चिमी राजस्थान में ज्यादा बारिश दर्ज की गई। पश्चिमी राजस्थान में औसत बारिश से 75 फीसदी ज्यादा और पूर्वी राजस्थान में 49 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। केवल झालावाड़ ऐसा जिला है, जहां औसत से 5 फीसदी कम बारिश हुई, जबकि बाकी सभी 32 जिलों में औसत से ज्यादा बरसात दर्ज हुई। 

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