BSP MLA Raju Pal Murder Case: बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड में विशेष सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को सात लोगों को दोषी ठहराने के बाद सजा सुनाई। जनवरी 2005 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दिनदहाड़े देवीलाल पाल और संदीप यादव के साथ बसपा विधायक की हत्या कर दी गई थी। सीबीआई ने पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके छोटे भाई पूर्व विधायक अशरफ उर्फ खालिद अजीम समेत 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। हालांकि, अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद को पिछले साल प्रयागराज के एक अस्पताल से पुलिस द्वारा ले जाते समय तीन युवकों ने गोली मार दी थी।
दोषी ठहराए गए अन्य लोगों में आबिद, फरहान अहमद, जावेद, रंजीत, इसरार, गुल हसन और अब्दुल कवि शामिल हैं। मुकदमे के दौरान गुलफूल उर्फ रफीक अहमद की भी मौत हो गई थी। फरहान को अदालत ने 4 साल की सजा सुनाई है। बाकी 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई है।
अतीक को अपने भाई की हार बर्दाश्त नहीं हुई थी
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राजू पाल हत्याकांड की जांच 22 जनवरी, 2016 को सीबीआई को ट्रांसफर कर दी गई थी। राजू पाल की हत्या आपसी रंजिश में की गई थी। राजू ने 2004 में प्रयागराज पश्चिम सीट से विधानसभा उपचुनाव जीता था। लोकसभा चुनाव में अतीक के फूलपुर से सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। राजू ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अशरफ को हराया था। हार माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को बर्दाश्त नहीं हुई।
गाड़ी रोककर हमलावरों ने बरसाई थीं गोलियां
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 25 जनवरी 2005 को हमलावरों ने धूमनगंज पुलिस स्टेशन के तहत नीवा क्रॉसिंग पर राजू की गाड़ी को रोका। राजू अपने साथियों के साथ घर लौट रहा था, तभी हमलावर दो चार पहिया वाहनों पर आए और उसका रास्ता रोक लिया। राजू ने भागने की कोशिश की तो उस हमलावरों ने फायरिंग शुरू कर दी। गोलीबारी में राजू और उसके दो साथी देवीलाल पाल और संदीप यादव की मौत हो गई। जबकि तीन अन्य रुकसाना, सैफ उर्फ सैफुल्ला और ओम प्रकाश पाल गोली लगने से घायल हो गए।
9 दिन बाद विधवा हो गई थी पूजा
उसी दिन राजू की पत्नी पूजा पाल ने धूमनगंज थाने में अतीक, अशरफ और सात अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा, हत्या के प्रयास, हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई। यह घटना उनकी शादी के ठीक नौ दिन बाद हुई थी।
BSP MLA Raju Pal murder case | CBI court convicts all 7 accused. Slain criminal-turned-politician Atiq Ahmed and his brother Ashraf were also accused in the case.
— ANI (@ANI) March 29, 2024
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को केस हुआ था हैंडओवर
प्रयागराज पुलिस ने जांच की और 6 अप्रैल, 2005 को एक स्थानीय अदालत में अतीक और अशरफ सहित 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। दिसंबर 2008 में तत्कालीन राज्य सरकार ने जांच यूपी सीबी-सीआईडी को स्थानांतरित कर दी। जिसने मामले में सात अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। मामले की जांच बाद में 22 जनवरी, 2016 को सीबीआई को हैंडओवर कर दी गई। पूजा पाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को केस हैंडओवर किया गया था।
अशरफ घटनास्थल पर था मौजूद
आरोपियों को आईपीसी 302 (हत्या), 120 बी (आपराधिक साजिश), 147 (दंगा), और 148 (सशस्त्र हथियारों के साथ दंगा) के आरोप के तहत दोषी ठहराया गया है। जांच एजेंसी ने कहा कि जांच के दौरान सीबीआई ने मौके पर मौजूद राजू के सहयोगियों, स्थानीय दुकानदारों और दर्शकों के बयान दर्ज किए। जिन्होंने अशरफ सहित 10 लोगों के नाम लिए। 10 में से नौ के खिलाफ सीबीआई ने आरोपपत्र दायर किया है, जबकि एक नफीस कालिया उर्फ नफीस अहमद की मौत हो चुकी है। एजेंसी ने यह भी कहा कि अशरफ के सेलफोन के कॉल रिकॉर्ड से पुष्टि हुई कि वह अपराध स्थल पर मौजूद था।
जिन सात लोगों को क्लीन चिट दी गई है, उनमें आशिक उर्फ मल्ली, अजाज अख्तर, अकबर, दिनेश पासी, मुस्लिम उर्फ गुड्डु, गुफरान अहमद और मुताईसन शामिल हैं। इन सभी पर पहले स्थानीय पुलिस और बाद में यूपी अपराध शाखा-आपराधिक जांच विभाग (सीबी-सीआईडी) द्वारा आरोप पत्र दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।