UP By-election 2024: उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव हैं। इन पर जीत के लिए बीजेपी ने 30 मंत्रियों और 90 से अधिक विधायकों की विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है। गांवों में कैम्प कर यह मंत्री-विधायक बूथ विजय के संकल्प को पूरा करेंगे। जातिगत समीकरण साधने के लिए एससी-एसटी और ओबीसी नेता उतारे गए हैं।
दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में 40 से अधिक सीट हारने के बाद भाजपा कैडर निराश है। सीएम योगी और पार्टी नेतृत्व उपचुनाव में शानदार जीत हासिल कर कार्यकर्ताओं में जोश भरना चाहते हैं। यही कारण है कि प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
हर सीट में जातीय समीकरण
भाजपा के रणनीतिकार उपचुनाव में जातीय समीकरण पर खास फोकस करने का निर्णय लिया है। पार्टी ने हर सीट में जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए 10-10 विधायकों की ड्यूटी लगाई है।
मंत्री-विधायकों के साथ सांसद करेंगे प्रचार
भाजपा ने मंत्री-विधायकों के साथ पार्टी के सांसदों को भी चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है। यह लोग स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के सहयोग से विपक्ष के खिलाफ एक प्रभावशाली रणनीति तैयार करेंगे।
तथ्यों के साथ देंगे आरोपों का जवाब
भाजपा नेतृत्व उपचुनाव में विपक्ष के आरोपों का जवाब तथ्यों के साथ देगा। इसके लिए मुद्दा आधारित 'सिलेबस' तैयार किया गया है। ताकि हर सवाल का सटीक जवाब समय रहते दिया जा सके।
संगठन को दी जा रही तरहीज
भाजपा ने लोकसभा चुनाव से सीख लेते हुए इस बार मंडल और जिला पदाधिकारियों की राय पर प्रत्याशी चयन किया है। प्रचार प्रसार में भी पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को पूरा महत्व दिया जा रहा है। उन्हें अलग-अलग बूथ और शक्ति केंद्रों की जिम्मेदारी दी गई है।
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घर-घर संपर्क के लिए टोलियां
भाजपा ने कार्यकर्ता की टोली बनाकर डोर टू डोर संपर्क अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसमें जातिगत समीकरण पर विशेष फोकस किया गया है। 10 घरों में संपर्क के लिए एक टीम बनेगी, जिसमें वहां रहने समाज के पदाधिकारियों को अनिवार्यत: शामिल किया जाएगा।