Hathras stampede: यूपी के हाथरस में सत्संग में मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत हुई है। हाथरस हादसे के सात दिन बाद यूपी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया। SIT की रिपोर्ट के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने SDM, CO, इंस्पेक्टर समेत 6 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। SIT की रिपोर्ट में कहा है कि हादसे में साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। हादसा आयोजकों की लापरवाही से हुआ। स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया।
#WATCH लखनऊ: हाथरस भगदड़ मामले में SIT की रिपोर्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओ.पी. राजभर ने कहा, "...जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई है। अगर विपक्ष संतुष्ट नहीं है तो वो लिख कर दे दें कि वह किस जांच एजेंसी से जांच करवाना चाहते हैं। सरकार एक कदम भी पीछे नहीं हटेगी... जो… pic.twitter.com/fWtww1AVqR
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 9, 2024
सरकार एक कदम भी पीछे नहीं हटेगी
हाथरस भगदड़ मामले में SIT की रिपोर्ट पर मंत्री ओपी राजभर ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की है। अगर विपक्ष संतुष्ट नहीं है तो वो लिख कर दे दें कि वह किस जांच एजेंसी से जांच करवाना चाहते हैं। सरकार एक कदम भी पीछे नहीं हटेगी। जो जांच रिपोर्ट आएगी उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
जिम्मेदारी में लापरवाही की है
SIT ने सोमवार रात सीएम योगी को 900 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। SIT ने रिपोर्ट में कहा है कि एसडीएम, CO, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज ने अपनी जिम्मेदारी में लापरवाही की। रिपोर्ट के बाद सरकार ने एसडीएम रविंद्र कुमार, सीओ आनंद कुमार के अलावा इंस्पेक्टर, तहसीलदार और चौकी इंचार्ज कचौरा और पारा को सस्पेंड कर दिया। एसडीएम ने बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किए कार्यक्रम की अनुमति दी। सीनियर अफसरों को भी जानकारी नहीं दी। घटनास्थल पर बैरिकेडिंग की व्यवस्था भी नहीं थी।
भीड़ के लिए इंतजाम नहीं, इसलिए हादसा
रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ अफसरों को आयोजन की जानकारी तक नहीं दी गई। भीड़ के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए, जिसके चलते हादसा हुआ है। आयोजकों ने बिना पुलिस वैरिफिकेशन जिन लोगों को अपने साथ जोड़ा, उनसे अव्यवस्था फैली है। जांच के दौरान 150 अफसरों, कर्मचारी और पीड़ित परिवारों के बयान दर्ज किए।
मामले की तीन स्तर पर जांच
हाथरस के सिकंदराराऊ के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में 2 जुलाई को मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत हुई। मरने वालों में 113 महिलाएं और 7 बच्चियां हैं। मामले की तीन लेवल पर जांच हो रही है। पहली रिपोर्ट SDM ने हादसे के 24 घंटे बाद प्रशासन को सौंपी थी। पहली रिपोर्ट में हादसे के लिए आयोजकों को जिम्मेदार बताया था। एसआईटी ने छह दिन सोमवार को योगी सरकार को रिपोर्ट सौंपी। इसके अलावा न्यायिक जांच आयोग का भी गठन किया है। आयोग 2 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।
देवप्रकाश मधुकर सहित 9 गिरफ्तार
हाथरस रिपोर्ट में कुप्रबंधन का हवाला दिया है, कहा है कि पुलिस ने घटना को गंभीरता से नहीं लिया। भोले बाबा के 'सत्संग' की अनुमति देने वाले एसडीएम सहित छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। एसआईटी रिपोर्ट में यह भी बताया कि भोले बाबा के कार्यक्रम के आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की अनुमति ली। हादसे के बाद आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग गए।
आचार संहिता हटने से भीड़ ज्यादा आई: बाबा के वकील
भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने कहा- चूंकि पिछले तीन-चार महीने से चुनाव के चलते आचार संहिता लगी थी। कहीं कोई आयोजन नहीं हुआ, इसलिए सत्संग में भीड़ ज्यादा आ गई। 80 हजार से ज्यादा लोगों के शामिल होने की अनुमति ली गई थी। हर शनिवार को ऐसी सद्भावना सभी होती रही है। लेकिन हाथरस के इस आयोजन में कुछ असामाजिक तत्व आ गए थे। कुछ लोगों ने भगदड़ मचाने के लिए साजिश रची थी। बाबा के खिलाफ साजिश की जा रही है। भगदड़ से पहले भोले बाबा वहां से चले गए थे।
चश्मदीदों का क्या कहना है?
एक चैनल की रिपोर्ट में चश्मदीदों ने कहा है कि मैं वहां मौजूद था, कहीं किसी ने स्प्रे नहीं छिड़का। वकील साहब, जो बोल रहे हैं, वो गलत है।