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मोहन यादव के जरिए यूपी में भाजपा समाजवादी पार्टी के यादव वोट बैंक में सेंध लगाएगी। समाजवादी पार्टी की परिवारवाद की राजनीति पर होगा हमला।

लखनऊ। मध्यप्रदेश में डॉ मोहन यादव के नाम की मुख्यमंत्री पद के लिए घोषणा होते ही उत्तर प्रदेश में सियासी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मोहन यादव के जरिए यूपी में भाजपा समाजवादी पार्टी के यादव वोट बैंक में सेंध लगाएगी। भाजपा में मोदी-शाह-नड्डा की तिकड़ी ने अचानक डॉ मोहन यादव को सामने लाकर मध्यप्रदेश में सियासी जानकारों के गणित तो फेल कर ही दिए, साथ यह संदेश भी दे दिया कि वे लोकसभा चुनाव को लेकर ओबीसी वोट बैंक पर उनका खास फोकस है। 

यादव वोट की दूसरी वरीयता भाजपा
उत्तर प्रदेश में अभी तक समाजवादी पार्टी यादव वोटर्स की पहली प्राथमिकता रहती है, लेकिन उसकी दूसरी वरीयता भाजपा है। बसपा से यादव वोटर्स का छत्तीस का आंकड़ा है। यादव वोट कांग्रेस को भी नहीं के बराबर मिलता है। यादव वोटर्स की दूसरी वरीयता भाजपा ही है। ऐसे में मोहन यादव और प्रदेश के बड़े यादव चेहरों को लेकर इन वोटर्स को साधा जा सकता है। 

यूपी में मोहन खास क्यों
उत्तर प्रदेश में यादव वोट को साधने के लिए डॉ मोहन यादव को इसलिए भी खास माना जाता है क्योंकि उनका इस सूबे से कनेक्ट बेहतर है। यूपी के सुल्तानपुर जिले में उनकी ससुराल है। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में वे लोकसभा चुनाव में वह गोंडा के प्रभारी भी रह चुके हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी वे यदि यादव वोट को प्रभावित करते हैं तो इसका समाजवादी पार्टी पर ज्यादा असर होगा। हालांकि, सेंट्रल यूपी में सपा के गढ़ को भेद पाना किसी के लिए आसान नहीं होगा। 

सपा के परिवारवाद पर करेंगे हमला
राजनीतिक रणनीतिकारों की मानें तो मध्यप्रदेश के मोहन यूपी में समाजवादी पार्टी की परिवारवाद की राजनीति पर हमला करेंगे। वे अपना उदाहरण देकर यूपी के यादवों को यह समझाएंगे कि बीजेपी में भी यादव टॉप पर आकर सम्मान पा सकते हैं। सियासी हल्कों से छनकर आ रही खबरों पर यकीन करें तो भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मुस्लिम की पार्टी बताकर सीमित करने के लिए पूरा जोर लगाएगी। यूपी में इस समय गिरीश यादव, हरनाथ यादव और दिनेशलाल निरहुआ ऐसे चेहरे हैं, जिनकी नजीर देकर बीजेपी यादव वोट लुभा सकती है।

ओबीसी-दलित वोट पर घूम रही यूपी की राजनीति
पिछले कुछ दशक से यूपी की राजनीति में दलित और ओबीसी मेन रोल अदा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कुल 52 फीसदी ओबीसी आबादी में 20 प्रतिशत यादव हैं, जबकि सूबे की कुल आबादी में 11 प्रतिशत यादव वोट है। यूपी में सपा को यादवों के 90 प्रतिशत वोट मिलते हैं। इसीलिए सपा ओबीसी और मुस्लिम वोट के सहारे यूपी में सत्ता पर काबिज होती रही है। भाजपा उत्तर प्रदेश में यादव के अलावा कुर्मी-पटेल, कुशवाहा, मौर्या, शाक्य, सैनी, लोध, फीसदी गडरिया-पाल, कुम्हार, गूजर, राजभर वोट भी अपनी ओर खींचना चाहती है।

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