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Prayagraj Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में रविवार, 18 नवंबर को महाकुंभ मेले की तैयारियों को लेकर अखाड़ा परिषद की बैठक हुई। अध्यक्ष रवींद्रपुरी दास ने कहा, मुस्लिमों हमारा धर्म नष्ट कर सकते हैं। उनकी एंट्री बंद हो।

Prayagraj Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने महाकुंभ में मुसलमानों का प्रवेश वर्जित किए जाने की मांग उठाई है। कहा, ऐसा न करने से साधु और संतों का धर्म भ्रष्ट हो जाएगा। 

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी सोमवार को परिषद की बैठक के बाद मीडिया से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा, मुसलमान थूंक जिहाद से साधु-संन्यासियों का धर्म भ्रष्ट करने का प्रयास कर सकते हैं। खान पान की चीजों में वह मिलावट कर सकते हैं।  

भाजपा को जिताने की अपील
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा, जब कोई गैर मुस्लिम मक्का नहीं जा सकता और वहां दुकान नहीं लगा सकता है। तो फिर महाकुंभ में मुसलमानों का प्रवेश क्यों नहीं वर्जित होना चाहिए। महंत रवींद्र पुरी ने इस दौरान महाराष्ट्र में भाजपा को जिताने की भी अपील की। कहा, बाला साहब ठाकरे कट्टर हिंदूवादी नेता थे, लेकिन उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने गैर भाजपा दलों से हाथ मिला लिया।  

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महंत रवींद्र पुरी ने क्या कहा-

  • महंत रवींद्र पुरी ने बताया, महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा महापर्व है। साधु संत महीनों में यहां त्याग तपस्या करते हैं। महाकुंभ में प्रतिदिन लोखों श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर आते हैं।
  • इस दौरान कुछ गैर सनातनी खासकर मुस्लिम समुदाय के लोग महौल बिगाड़ने के लिए आते हैं। वह यहां खान-पान की  सामग्री भी बेचते हैं। पिछले दिनों जिस तरह से खान-पान की सामग्री में पेशाब और थूंक मिलाने की घटनाएं  हुई हैं, उनसे अलर्ट रहने की जरूरत है।
  • अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा, महाकुंभ में यदि धर्म भ्रष्ट करने जैसी घटनाएं हुईं तो सनातन धर्मावलंबी उग्र हो सकते हैं। साधु-संत के हाथों कुछ गलत हो गया तो देश-विदेश में गलत संदेश जाएगा। 
  • इस तरह की स्थिति पैदा ही न हो, इसलिए बेहतर है कि महाकुंभ में मुसमानों को भोजन, नाश्ता, जूस या अन्य खान पान की सामग्री बेचने की अनुमति ही न दी जाए।  
  • महंत रवींद्र पुरी ने कहा, मुसलमान ठेकेदारी करें। वह अन्य सामग्री भी बेच सकते हैं, लेकिन खान-पीन की सामग्री बेचने की अनुमति उन्हें न दी जाए।
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