Sakshi Malik Autobiography: भारतीय रेसलर चैम्पियन साक्षी मलिक ने विटनेस नाम से ऑटोबायोग्राफी लिखी है। करीब 300 पन्ने की इस किताब में उन्होंने जीवन के कई अनछुए पहलुओं को सार्वजनिक किया है। साक्षी ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण से जुड़े कई खुलासे भी किए हैं।
साक्षी मलिक ने ऑटोबायोग्राफी में बताया कि बृजभूषण शरण सिंह ने फेडरेशन ऑफ इंडिया का अध्यक्ष बनने के लिए अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया है। अपने पक्ष में वोट डालने उन्होंने कई बड़े नेताओं की मदद ली है।
साक्षी मलिक ने आगे लिखा, 2012 में फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद बृजभूषण ने अपने समर्थकों और परिजनों को न सिर्फ स्टेट फेडरेशन्स में जगह दिलाई। बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि नेशनल फेडरेशन में आगे भी वही जीतें।
साक्षी मलिक ने किताब में बृजभूषण के राजनीतिक करियर, बाहुबली वाली उनकी छवि और दर्ज केसों पर विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने एक घटना का भी जिक्र किया है, जिसमें वह बृजभूषण शरण पर यौन उत्पीड़न की कोशिश का आरोप लगाया है।
साक्षी ने अपनी बायोग्राफी में लिखा है कि 2009 में मैं पहली बार जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में शामिल हुई। बृजभूषण शरण सिंह उस समय यूपी रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष थे। यह चैंपियनशिप गोंडा जिले में नंदिनी नगर नाम के पास हो रही थी। जहां न तो रेलवे स्टेशन था और न ही अन्य कोई सुविधा थी। गोंडा स्टेशन भी 40 किमी दूर था। आसपास जरूरत का सामान भी नहीं मिलता था, लेकिन चैंपियनशिप सिर्फ इसलिए हुई कि यह बृजभूषण सिंह का संसदीय क्षेत्र था।
साक्षी मलिक ने बताया, गोंडा जाने के लिए कनफर्म टिकट भी नहीं मिली थी। वहां पहुंचने के बाद मैं रातभर गोंडा स्टेशन पर वॉशरूम के पास कंबल ओढ़कर बैठी रही। क्योंकि आसपास ठहरने की कोई जगह नहीं थी। वहां पहुंचे तो चैंपियनशिप से ज्यादा एक पॉलिटिकल इवेंट लगा।
फोटो खिंचाने रुकवा देते थे मैच
साक्षी मलिक रियो ओलंपिक कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर हैं। अपनी बायोग्राफी में उन्होंने लिखा कि बृजभूषण सिंह खिलाड़ियों संग फोटो खिंचाने के लिए मैच रुकवा देते थे। 2012 में उनके अध्यक्ष बनने के बाद जूनियर रेसलिंग नेशनल चैंपियनशिप हर साल नंदिनी नगर में ही होने लगी। जहां बृजभूषण सिंह सिंहासननुमा कुर्सी पर बैठते और प्लेयर्स पर कमेंट किया करते थे। कई बार खिलाड़ियों, कोच और रेफरी को भला-बुरा भी कहते थे।
फिजियोथेरेपिस्ट देते थे हमारी डिटेल्स
साक्षी मलिक ने बताया कि प्रेसिडेंट बनने के बाद बृजभूषण सिंह इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन के लिए होने वाले सिलेक्शन ट्रायल देखने पहुंचने लगे। और महिला खिलाड़ियों से कुछ ज्यादा ही घुलने-मिलने लगे। घर-परिवार सहित अन्य डिटेल्स पूछने लगे। कुछ फिजियोथेरेपिस्ट हमारी हर गतिविधियों से बृजभूषण शरण सिंह को अवगत कराते थे।
इंजॉय करती थीं कुछ लड़कियां
साक्षी मलिक ने किताब में बताया है कि बृजभूषण की इस हरकत को कुछ लड़कियां इंजॉय करती थीं। जिस कारण उन्हें विदेश में ट्रेनिंग कैंप सहित अन्य एक्सपोजर मिलने लगे। वह मुझ पर भी इसके लिए दबाव बनाते थे। कहते थे कि बात करती रहा करो। मेरी बात मानोगी मैं बहुत आगे ले जाऊंगा। मैं नहीं मानी तो घर में कॉल करने लगे। मां डर गई कि कहीं मेरे करियर को नुकसान न पहुंचाएं।
मुझे बंदर कहकर बुलाने लगे
साक्षी मलिक ने बताया कि मैंने जूनियर एशियन चैंपियनशिप में जीत दर्ज की तो पास आकर बोले-यहां आओ मेरी बंदर। इसके बाद वह मुझे बंदर कहकर ही बुलाने लगे। मैंने ऐतराज जताया, लेकिन नहीं माने। ट्रायल मैच जीतने के बाद कॉल कर बोले-तुम एक अच्छी रेसलर हो, मैं कुछ प्रोटीन सप्लिमेंट्स भेजूंगा, लेकिन मैंने उनकी बातों को तवज्जों नहीं दिया।
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कजाकिस्तान की वह घटना जिस पर हुआ बवाल
- साक्षी ने कजाकिस्तान में हुई एशियन जूनियर चैंपियन का जिक्र करते हुए कहा, कजाकिस्तान के अल्माटी में 2012 में एशियन जूनियर चैंपियनशिप हुई थी। वहां पोडियम से उतरते ही बृजभूषण पास आकर बोले-मैंने तुम्हारे गोल्ड मेडल के लिए भगवान से प्रार्थना की है। इस दौरान वह अपने गले की लॉकेट वाली सोने की दिखाते हुए कहा- इसमें हनुमान जी की तस्वीर थी, जो तुम्हारे मैच जीतते ही खो गई।
- भगवान ने मेरा लॉकेट लेकर तुम्हें गोल्ड मेडल दिया है। मुझे कुछ जवाब नहीं सूझा इसलिए चुप रही। मुझे बधाई देकर चले गए। मैं रूममेट के साथ कमरे में थी। तभी फिजियोथेरेपिस्ट धीरेंद्र सिंह को भेजा। उसने कहा, मुझे उनके रूम में जाना चाहिए, ताकि पेरेंट्स को फोन कर सकें।
- धीरेंद्र मुझे उनके कमरे तक ले गया, लेकिन अकेला छोड़कर चला आया। बृजभूषण शरण सिंह ने पहले मेरे पेरेंट्स को फोन किया। फिर मोलेस्ट करने की कोशिश की। मैंने जोर से धक्का मारा और रोने लगी। इतने पर वह पीछे हटा। बाद में कहने लगे मैंने तुम्हे ‘पापा जैसे’ पकड़ा है। मैं उसके कमरे से रोते हुए अपने कमरे में आ गई।