Political analysis Dhaurahara seat: लखीमपुर खीरी में भाजपा को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ भाजपा नेता श्याम किशोर अवस्थी ने शुक्रवार को बसपा का दामन थाम लिया है। उन्हें धौरहरा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा है।
श्याम किशोर भाजपा सांसद के करीबी थे, लेकिन अनबन के चलते उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। भाजपा अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह को भेजे इस्तीफे में श्याम किशोर ने बताया कि वह स्वेच्छा से पार्टी के सभी दायित्व त्याग रहे हैं।
धौरहरा सीट का जातीय समीकरण
जाति वर्ग | मतदाता |
ब्राह्मण | 3,25,000 |
मुस्लिम | 2,50,000 |
कुर्मी | 1,60,000 |
पासी, जाटव व SC | 3,10,000 |
यादव, कुशवाहा, मौर्य | 2,75,000 |
क्षत्रिय मतदाता | 1,30,000 |
वैश्य | 95000 |
अन्य | 168900 |
कुल मतदाता | 17,13,900 |
2009 में बनी सीट, कांग्रेस ने जीता पहला चुनाव
धौरहरा लोकसभा सीट 2009 के परसीमन में पहली बार अस्तित्व में आई थी। कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे जितिन प्रसाद 2009 में यहां से निर्वाचित होकर केंद्रीय मंत्री बने थे। पिछले 10 साल से यहां भाजपा का कब्जा है। ब्राह्मण बहुल धौरहरा धौरहरा सीट से 2014 और 2019 के चुनावों में रेखा वर्मा सांसद निर्वाचित हुईं हैं। कांग्रेस धौरहरा सीट से से डॉ. रविशंकर त्रिवेदी को प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन समझौते में सपा के पास चली गई। सपा ने आनंद भदौरिया को प्रत्याशी बनाया है। जबकि, बसपा ब्राह्मण चेहरे की तलाश में थी। भाजपा छोड़कर श्याम किशोर को धौरहरा प्रत्याशी घोषित कर सकती है।
धौरहरा सीट पर वर्तमान स्थिति
उत्तर प्रदेश के नेपाल सीमा से लगी खीरी और धौरहरा सीट में पिछले दो बार से भाजपा का कब्जा है। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी यहां से मजबूत टक्कर देते रहे हैं। हालांकि, पिछला चुनाव सपा और बसपा के संयुक्त प्रत्याशी अरशाद लियाश सिद्धकी ने महज 33.11 फीसदी और कांग्रेस के जतिन प्रसाद 15 फीसदी वोट लेकर तीसरे नंबर पर थे। जतिन प्रसाद अब भाजपा में योगी सरकार के मंत्री हैं। यानी भाजपा की स्थित और मजबूत हुई है। इसलिए बसपा श्याम किशोर अवस्थी पर दांव लगाकर इस पर सेंध लगाना चाहती है। भाजपा ने धौरहरा से रेखा वर्मा और खीरी से अजय मिश्र टेनी को टिकट दिया है। जबकि, सपा-कांग्रेस ने धौरहरा से आनंद भदौरिया और खीरी से उत्कर्ष वर्मा पर दांव लगाया है। बसपा ने इस बार अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है।