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Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के समय और मूहर्त पर सवाल उछाए जाने का आध्यत्मिक संतों ने जवाब दिया है। कहा, बेवजह मुद्दा न बनाएं लोग। 

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के समय और प्रक्रिया पर सवाल उठाया था। जिस पर आध्यात्मिक गुरु देवकी नंदन ठाकुर, महंत नारायण गिरी और सरयू महाआरती के अध्यक्ष शशिकांत दास ने बचाव किया। सोमनाथ मंदिर का उदहरण देते हुए कहा कि, वहां तो गर्भग्रह भी अधूरा था। यहां तो गर्भग्रह और मंदिर की एक मंजिल बन गई है, तब भी कुछ लोग मुद्दा बना रहे हैं। 

आध्यात्मिक गुरु देवकी नंदन ठाकुर ने बताया कि सौभाग्य की बात है कि भगवान राम 22 जनवरी को पधार रहे हैं। कुछ लोग बेजह मुद्दा बना रहे हैं। सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के निर्माण की पहल की तो 'गर्भगृह' भी पूरा नहीं बना था, लेकिन 'प्राण प्रतिष्ठा' हुई थी। राम मंदिर का तो गर्भगृह तैयार है और प्रथम तल भी तैयार है। 

14 साल बाद कलश-ध्वजा स्थापित हुई थी 
दूधेश्वर मंदिर के पूजारी महंत नारायण गिरी ने बताया, 1950-1951 में सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। 14 साल बाद 1965 में वहां कलश और ध्वजा स्थापित की गई थी। आज 500 साल के संघर्ष के बाद भव्य राम मंदिर बन रहा है। यह बहुत शुभ समय है। इसलिए सभी को समर्थन करना चाहिए।
 

...तो नहीं हो पाता मंदिर निर्माण 
सरयू महाआरती के अध्यक्ष शशिकांत दास महाराज ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर कुछ लोग भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। मैं याद दिला दूं कि सोमनाथ मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा जिस समय हुई, उस समय मंदिर का गर्भगृह और शिखर भी नहीं बना था। अयोध्या में भगवान का गर्भगृह और शिखर भी बनकर तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी नहीं होते तो मंदिर निर्माण नहीं हो पाता। 

 

 

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