Urdu Poet Munawwar Rana Passes Away: 'मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं। मां से इस कदर लिपट जाऊं की बच्चा हो जाऊं....' मां पर लिखी शायरियों से दुनियाभर में मशहूर हुए शायर मुनव्वर राणा नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने की वजह से रविवार की देर रात उनका लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया। वे 71 साल के थे। लंबे समय से उन्हें किडनी की बीमारी थी। बीते 2 साल से उनकी डायलिसिस चल रही थी। फेफड़ों की गंभीर बीमारी से भी ग्रसित थे। 9 जनवरी को हालत ज्यादा सीरियस होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। रात में ही उनका शव आवास पर लाया गया।
मुनव्वर अपने पीछे पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा है। शायर मुनव्वर राणा को रायबरेली में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। उनके बेटे तबरेज दिल्ली में रहते हैं। उनके पहुंचने पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू होगी।
#WATCH | Lucknow, Uttar Pradesh: Mortal remains of poet Munawwar Rana brought to his residence, earlier visuals pic.twitter.com/LZFRTE4BLV
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 15, 2024
रायबरेली में जन्म, कोलकाता में बीता बचपन
मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर, 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में हुआ था। हालांकि राणा ने अपना अधिकांश जीवन कोलकाता में बिताया। राणा और उर्दू शायरी और कविताओं के जरिए शोहरत मिली। वे अपनी रचनाओं में फारसी और अरबी शब्दों से परहेज करते थे। हिंदी और अवधी शब्दों का इस्तेमाल उनकी शायरी को आसान बनाती थी। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता मां थी, जो वे गजल शैली में गुनगनाते थे।
लौटा दिया था अवार्ड
मुनव्वर राणा को कई अवार्ड मिले। उनकी काव्य पुस्तक 'शाहदाबा' के लिए उन्हें 2014 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। लेकिन 2014 में केंद्र की सत्ता बदलने पर देश में बढ़ती असहिष्णुता पर चिंता के कारण उन्होंने लगभग 2015 पुरस्कार लौटा दिया। मुनव्वर को अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार भी मिले थे। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
आरएसएस को बताया था तालिबान
कवि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम में भी सक्रिय थे। उनकी बेटी सुमैया अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य हैं। दूसरी बेटी कांग्रेस में है। राणा अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे रहते थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तुलना तालिबान से की थी। इसके अलावा उन्हें सैमुअल पैटी की हत्या का समर्थन करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था, जो 2020 में पेरिस में पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवाद के कारण मारा गया था। इसके अलावा योगी के दोबारा सीएम बनने पर उन्होंने हिंदुस्तान छोड़ने का ऐलान कर दिया था।