Varanasi Gyanvapi mosque Dispute ASI survey Report Updates: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के एडिशनल डायरेक्टर ने सोमवार को वाराणसी में जिला जज को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सौंप दी। जिसमें सर्वे के दौरान खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे 250 अवशेष भी शामिल हैं। इन्हें डीएम की निगरानी में लॉकर में जमा कराया गया था। इन सभी अवशेष को कोर्ट में रखा गया है। इसके बाद वाराणसी जिला न्यायालय के न्यायाधीश एके विश्वेश ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय की है।
सर्वे रिपोर्ट पेश होने से पहले मुस्लिम पक्ष ने अदालत में एक अप्लीकेशन दी थी, जिसमें मांग की थी कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल की जाए। बिना हलफनामा के किसी को भी इसे सार्वजनिक इजाजत न दी जाए। एएसआई ने पहले वाराणसी जिला न्यायालय से सर्वेक्षण पूरा करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए अतिरिक्त समय मांगने का अनुरोध किया था।
#WATCH | Varanasi, UP: Advocate Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side in the Gyanvapi survey case, says, "Today, the Archaeological Survey of India has filed its report in sealed cover in violation of the Supreme Court judgment of 4th August...We have moved an… pic.twitter.com/7nYQiwzZWJ
— ANI (@ANI) December 18, 2023
हिंदू पक्ष के वकील का दावा- ASI ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किया उल्लंघन
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि रिपोर्ट सीलबंद कवर में दाखिल नहीं की जा सकती, एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। हमने अदालत के समक्ष अपनी याचिका दायर की है। एएसआई रिपोर्ट की प्रति सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराई जानी चाहिए और यह मुद्दा 21 दिसंबर को सुनवाई के दौरान उठाया जाएगा। मीडिया पर यह आदेश नहीं दिया जा सकता कि आप इस रिपोर्ट के बारे में बात नहीं कर सकते। यदि जिला जिला अदालत कोई आदेश पारित नहीं करती है, जो कानून के अनुरूप है, तो हम सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर करेंगे।
16 मई को दाखिल की थी याचिका
वकील विष्णु शंकर जैन की अगुवाई में चार महिलाओं ने एएसआई सर्वे की मांग को लेकर 16 मई को याचिका दायर की थी। दावा किया था कि मस्जिद में मंदिर के प्रतीक चिह्न मौजूद हैं। इसके बाद वाराणसी के जिला जज ने 21 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्से और तहखाने के सर्वे का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था सर्वे का आदेश
24 जुलाई को सर्वे का काम शुरू हुआ, लेकिन मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी। इसके बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद 4 अगस्त को फिर से सर्वे शुरू हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी थी कि बिना नुकसान पहुंचाए, सर्वे किया जाए। 2 नवंबर को एएसआई ने जिला अदालत को बताया कि उसने सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, लेकिन सर्वेक्षण में इस्तेमाल किए गए उपकरणों के विवरण के साथ रिपोर्ट संकलित करने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता होगी। इसके बाद अब रिपोर्ट सौंपी गई है।