Explainer West Asia Tension:पश्चिम एशिया बीते कुछ दिनों से उबाल पर है। इजरायल और हेजबुल्लाह के बीच शुरू हुए विवाद में ईरान की एंट्री हो चुकी है। ईरान ने मंगलवार की रात इजरायल पर 180 मिसाइल दागे। इसके बाद इजरायल ने भी जवाबी हमले की धमकी दी है। उधर, रूस और यूक्रेन मोर्चे पर डटे हैं। हूती विद्रोही भी इजरायल और रूस से लड़ने के लिए तैयार होने का दावा कर रहे हैं। पश्चिम एशिया में हिजबुल्लाह, हूती और हमास तीनों के लामबंद होने की आशंका बढ़ रही है। मिडिल ईस्ट के कई देश एक दूसरे के आमने-सामने हैं। ऐसे में दुनिया भर में महायुद्ध की आहट तेज हो गई है।
आईए, समझते हैं क्या है दुनिया को टेंशन में लाने वाले इस विवाद की वजह, कौन से देश हैं इजरायल के साथ, कौन ले रहा हिजबुल्ला और हमास के आतंकियों की साइड। साथ ही जानेंगे इस जंग का हमारे देश भारत और दुनिया पर असर।
इजरायल के साथ कौन-कौन से देश?
इजरायल को मुख्य रूप से अमेरिका का पूरा समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे पश्चिमी देश भी इजरायल के समर्थन में खड़े हैं। अमेरिका इजरायल को आर्थिक और सैन्य सहायता देने के साथ-साथ कूटनीतिक स्तर पर भी इसका समर्थन करता रहा है। दूसरे पश्चिमी देशों भी कई बार इजरायल के प्रति समर्थन जाहिर कर चुके हैं। खासकर जब इजरायल, ईरान के खिलाफ किसी बड़े खतरे का सामना कर रहा होता है तो कई पश्चिमी देश इजरायल के समर्थन में होते हैं।
ईरान के साथ कौन-कौन से देश?
ईरान को मुख्य रूप से रूस और चीन का समर्थन मिला हुआ है। इसके अलावा, लेबनान का हिजबुल्लाह, सीरिया, और इराक में मौजूद शिया मिलिशिया संगठन भी ईरान के समर्थन में खड़े हैं। यह सारे देश और संगठन ईरान के साथ मिलकर इजरायल और पश्चिमी देशों के खिलाफ अपनी रणनीतियों को अंजाम देते हैं। ईरान चूंकि परमाणु ताकत से लैस है, इसलिए अन्य शिया मुस्लिम बहुल देश भी ईरान को।
ईरान और इजरायल के बीच विवाद की वजह?
ईरान और इजरायल के बीच का विवाद मुख्य रूप से राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों पर आधारित है। ईरान का कहना है कि इजरायल एक अवैध राज्य है और उसे मिटा दिया जाना चाहिए, जबकि इजरायल अपनी रक्षा के लिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम और उसकी आक्रामक नीतियों का विरोध करता है। ईरान, फिलिस्तीन के लोगों का समर्थन करता है, जबकि इजरायल अपने अस्तित्व के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है।
कितनी पुरानी है ईरान-इजरायल की दुश्मनी?
ईरान और इजरायल की दुश्मनी दशकों पुरानी है। 1979 में ईरान की इस्लामिक क्रांति के बाद से यह विवाद शुरू हुआ, जब ईरान के नए नेतृत्व ने इजरायल के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट किया। तब से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध समाप्त हो गए और कई बार दोनों के बीच सैन्य झड़पें भी हुई हैं। यह दुश्मनी अब एक जटिल क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दा बन चुकी है।
अमेरिका क्यों दे रहा है इजरायल का साथ?
अमेरिका इजरायल का पुराना सहयोगी है। अमेरिका ऐसा मानता है कि इजरायल मध्य पूर्व में अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साथी है। अमेरिका को इजरायल की स्थिरता से अपने भू-राजनीतिक और आर्थिक हित जुड़े हुए दिखते हैं। साथ ही, इजरायल की सुरक्षा में अमेरिका की खास दिलचस्पी की बड़ी वजह यह भी है कि इजरायल मध्य पूर्व में लोकतंत्र का एक मात्र मजबूत स्तंभ माना जाता है। इसके अलावा, एक धड़ा इस बात पर भी यकीन करता है कि अमेरिका के भीतर इजरायली लॉबी बहुत प्रभावशाली है।
ईरान-इजरायल की जंग से भारत पर क्या असर?
अगर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध छिड़ता है, तो इसका सीधा असर भारत पर भी पड़ सकता है। भारत, दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए हुए है, लेकिन इस जंग से भारत की तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। भारत ईरान से बड़े पैमाने पर तेल इंपोर्ट करता है। अगर इजरायल और ईरान के बीच जंग बढ़ती है तो भारत में कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है। इसके अलावा, पश्चिम एशिया में रहने वाले लाखों भारतीयों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।
इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष का दुनिया पर व्यापक असर हो सकता है। यह संघर्ष न केवल मध्य पूर्व में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अर्थव्यवस्था, राजनीति, और सुरक्षा पर प्रभाव डालेगा। आइए जानते हैं पांच पॉइंट्स से समझते हैं क्या होगा इसका दुनिया पर असर
1. तेल की कीमतों में आएगी उछाल: ईरान और इजरायल के बीच किसी बड़े युद्ध का सबसे पहला असर तेल बाजार पर पड़ेगा। ईरान दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादकों में से एक है। यदि युद्ध से तेल उत्पादन और निर्यात बाधित होता है, तो दुनिया भर में तेल की कीमतों में भारी वृद्धि होगी, जिससे आर्थिक अस्थिरता हो सकती है। इससे तेल आयात करने वाले देशों की इकोनॉमी पर असर होगा, खास तौर पर भारत जैसे देशों पर बड़ा असर होगा, जो अपने ऊर्जा स्रोतों के लिए बड़े पैमाने पर तेल पर निर्भर हैं।
2. वैश्विक ध्रुवीकरण का खतरा: इस संघर्ष में कई देशों की भागीदारी हो सकती है। इजरायल को अमेरिका और यूरोप का समर्थन मिलता है, जबकि ईरान को रूस और चीन जैसे देशों का सहयोग मिल सकता है। इससे दुनिया के कई देशों पर तनाव बढ़ेगा। यह विश्व स्तर पर नए राजनीतिक ध्रुवीकरण का कारण बन सकता है।
3. साइबर युद्ध का खतरा मंडराया : ईरान और इजरायल के बीच साइबर युद्ध को बढ़ावा दे सकता है। दोनों देशों में साइबर क्षमताएं मजबूत हैं, और उनके बीच होने वाले हमलों का असर दूसरे देशों की डिजिटल सिक्योरिटी पर भी हो सकता है। यदि यह संघर्ष साइबर हमलों तक फैलता है, तो इसका प्रभाव दुनिया भर के बिजनेस, बैंकों, और अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पड़ेगा।
4. परमाणु हथियारों के इस्तेमाल खतरा: अगर संघर्ष बढ़ता है, तो ईरान और इजरायल के बीच परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा बढ़ जाएगा। बता दें कि ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर कई बार इजरायल चिंता जाहिर कर चुका है। अगर ईरान इजरायल पर परमाणु हमला करता है तो यह सिर्फ इजरायल के लिए नहीं बल्कि आसपास के दूसरे देशों के लिए भी घातक साबित होगा।
5. मानवीय संकट और शरणार्थी समस्या: युद्ध के चलते बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हाे सकते हैं। यह मानवीय संकट पैदा करेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहायता संगठनों पर भारी दबाव पड़ेगा। बड़ी संख्या में लोग अपना देश छोड़ कर दूसरे देशों की ओर पलायन कर सकते हैं। ऐसे में यूरोप और दूसरे देशों में शरणार्थी संकट बढ़ सकता है। ऐसा होने पर सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।