Foreign Minister S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और रूस के संबंधों को लेकर अहम बात कही। विदेश मंत्री ने कहा कि यूक्रेन से जंग जारी होने के बावजूद भी रूस ने भारत के साथ अपने आर्थिक संबंधों का विस्तार किया। रूस ने कभी भी भारत के हितों के खिलाफ काम नहीं किया। भारत और रूस के बीच संबंध स्थिर और मैत्रीपूर्ण बने हुए हैं। साथ ही रूस से तेल खरीदने पर भी बेबाकी से बात रखी। विदेश मंत्री एस जयशंकर फिनलहाल जर्मनी के दौरे पर हैं। वह जर्मनी के म्यूनिख शहर में एक अहम सुरक्षा बैठक में हिस्सा लेने गए हैं।
'भारत के पास दूसरा विकल्प नहीं था'
एस जयंशकर ने कहा कि यूक्रेन-रूस संघर्ष शुरू होने के बाद मिडिल ईस्ट के बड़े तेल उत्पादकों ने यूरोपीय देशों को तेल बेचने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। इन तेल उत्पादकों ने ज्यादा कीमतों पर यूरोपीय देशों को कच्चा तेल बेचना शुरू कर दिया। हालांकि, भारत बढ़ी कीमतों पर तेल खरीदने में सक्षम नहीं था। भारत को कम कीमत पर रूस से कच्चा तेल मिल रहा था। यही वजह रही कि भारत ने रूस से क्रूड ऑयल खरीदना शुरू कर दिया। भारत के पास इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था। साथ ही यह भी कहा कि कोई भी देश अपने पुराने अनुभवों को देखते हुए काम करता है। रूस से तेल खरीदने के मामले में भारत ने भी वही किया। दूसरे देशों को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है।
रूस कभी भारत के हितों के खिलाफ नहीं गया
विदेश मंत्री ने कहा कि अगर हम भारत की आजादी के बाद के ईतिहास पर गौर करें तो रूस ने कभी भी भारत के हितों के खिलाफ काम नहीं किया। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत रुस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को खत्म कराने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए तैयार था। हालांकि, भारत का हमेशा से यह मानना रहा कि इस संघर्ष पर विराम लगाने के लिए रूस और यूक्रेन को पहले अपने दम पर पहल करनी चाहिए थी। बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू होने के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने कहा था कि भारत को इस युद्ध को खत्म कराने के लिए पहल करनी चाहिए।
रूस के साथ हमारे संबंध पुराने अनुभवों पर टिके
एस जयशंकर ने कहा कि रूस के साथ यूरोपीय देशों, अमेरिका या चीन जैसे देशों ने कभी न कभी उतार-चढ़ाव देखा है। लेकिन भारत के साथ ऐसा नहीं है। हमारे संबंध स्थिर और मैत्रीपूर्ण है। आज रूस के साथ हमारा संबंधी इसी पुराने अनुभव पर टिका हुआ है। दूसरे देशों के लिए चीजें अलग थी, हो सकता है उनमें से कुछ का रूस के साथ संघर्ष रहा हो और बाद में उन्होंने इसे संभाल लिया हो।
चीन को लेकर दूसरे देशों का नजरिया भारत जैसा नहीं
एस जयशंकर ने कहा कि मैं यह उम्मीद नहीं करता कि चीन को लेकर जो नजरिया भारत का होगा, वहीं यूरोपीय देशों का भी होगा। यूरोप को इस बात को समझना चाहिए। स्वीकार करना चाहिए कि रिश्तों में स्वाभावित मतभेद हो सकते हैं। विदेश मंत्री ने रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले को सही ठहराया। यह सारी बात एस जयशंकर ने एक जर्मन अखबार को दिए इंटरव्यू में कही।