India Reply To Pakistan-Turkey: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में जम्मू-कश्मीर पर एक बार फिर पाकिस्तान और तुर्की ने आंसू बहाया है। इस पर भारत ने दोनों मुस्लिम देशों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर दुनिया के सामने पाकिस्तान और तुर्की को कड़ी फटकार लगाई। दो टूक शब्दों में कहा कि जिनका खुद का रिकॉर्ड खराब है, उन्हें दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। भारत ने 'उत्तर देने के अधिकार' (Right To Reply) का प्रयोग करते हुए कहा कि पाकिस्तान के पास भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 55वें सत्र में भारत की प्रथम सचिव अनुपमा सिंह ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के खिलाफ झूठे आरोप प्रचारित करने के लिए परिषद का फिर से दुरुपयोग किया गया है।
पाकिस्तान को याद दिलाया अगस्त कांड
अनुपमा सिंह ने कहा कि पाकिस्तान ने परिषद के मंच का एक बार फिर से भारत के खिलाफ स्पष्ट रूप से झूठे आरोप लगाने के लिए दुरुपयोग किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जिसने अपने ही अल्पसंख्यकों के व्यस्थित उत्पीड़न को संस्थागत बना दिया है। इसका उदाहरण अगस्त 2023 में पाकिस्तान के जारनवाला शहर में हुई घटना है। ईसाई समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर क्रूरता की गई। 19 चर्चों को नष्ट कर दिया गया और 89 ईसाई घरों को जला दिया गया।
India exercises Right of Reply against Pakistan at #HRC55 pic.twitter.com/rdTMVWYmFT
— India at UN, Geneva (@IndiaUNGeneva) February 28, 2024
आतंकवादियों को पाल रहा मुस्लिम देश
अनुपमा सिंह ने कहा कि पाकिस्तान का मानवाधिकार रिकॉर्ड वास्तव में बेहद खराब है। भारत पर टिप्पणी करना न केवल विडंबनापूर्ण है, बल्कि विकृत भी है। भारत एक ऐसा देश है जो स्पष्ट रूप से आर्थिक प्रगति और सामाजिक न्याय हासिल करने में बड़ी प्रगति कर रहा है। अनुपमा सिंह ने यूएनएससी से घोषित आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान के समर्थन पर भी लोगों का ध्यान खींचा। उन्होंने पाकिस्तान पर विश्व स्तर पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया।
जयशंकर ने कहा था- पाकिस्तान का भविष्य उसके कामों पर निर्भर
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का 26 फरवरी से सत्र शुरू हुआ है, जो 5 अप्रैल तक चलेगा। पिछले साल अगस्त में भारत ने कहा था कि पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य तभी हो सकते हैं जब वह आतंक और दुश्मी से मुक्त वातावरण बनाए। विदेश मंत्रालय ने सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा व्यक्त की थी और आतंकवाद मुक्त माहौल के महत्व पर जोर दिया था।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तान का भविष्य उसके कार्यों और विकल्पों पर निर्भर है। उन्होंने सुझाव दिया कि घटते विदेशी मुद्रा भंडार, उच्च मुद्रास्फीति और अपनी आर्थिक समस्याओं से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना पाकिस्तान पर निर्भर है।