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Pakistan:आसिफ अली जरदारी दूसरी बार बने पाकिस्तान के राष्ट्रपति। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब कोई व्यक्ति दूसरी बार देश का राष्ट्रपति बना है। जरदारी के खिलाफ मैदान में सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के उम्मीदवार महमूद खान अचकजई थे। अचकजई को 119 और जरदारी को 255 वोट मिले।

Pakistan:आसिफ अली जरदारी को पाकिस्तान का 14 वां राष्ट्रपति चुन लिया गया है। जरदारी दूसरी बार पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने हुए हैं। इससे पहले वह साल 2008 से 2013 तक इस पद पर रह चुके हैं। पाकिस्तान में इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई व्यक्ति दूसरी बार देश का राष्ट्रपति बना है। राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में आसिल अली जरदारी के खिलाफ सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के उम्मीदवार महमूद खान अचकजई मैदान में थे। अचकजई को 119 वोट मिले, वहीं, जरदारी 255 वोट हासिल करने में कामयाब रहे। 

बिजनेसमैन भी हैं जरदारी
जरदारी एक पॉलिटिशियन होने के साथ ही एक बिजनेसमैन भी हैं। जरदारी की दिवंगत पत्नी बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। वहीं, जरदारी के बेटे बिलवाल भुट्टो पाकिस्तान के विदेश मंत्री रह चुके हैं। जरदारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के सह अध्यक्ष हैं। PPP ने नवाज शरीफ की अगुवाई वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग (PML-N) के साथ मिलकर सरकार बनाई है। दोनों पार्टियों में इसी शर्त पर गठबंधन हुआ था कि सरकार बनने पर जरदारी को राष्ट्रपति बनाया जाएगा। 

पाकिस्तान में PPP और PML-N गठबंधन की सरकार
जरदारी से पहले देश के राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी थे। अल्वी का कार्यकाल बीते साल ही पूरा हो गया था। हालांकि, देश में नए राष्ट्रपति बनने तक वह अपने पद पर कायम थे। जरदारी के राष्ट्रपति बनने के बाद आरिफ अल्वी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पीपीपी और पीएमएल-एन की गठबंधन सरकार के समझौते के तहत नवाज शरीफ की बेटी मरयम नवाज को पंजाब का सीएम बनाया गया है वहीं सिंध प्रांत का सीएम पद पीपीपी के खाते में गया है। 

लग चुके हैं भ्रष्टाचार के आरोप
आसिफ अली जरदारी को अपने राजनीति करियर में भ्रष्टाचार के कई आरोपों का सामना करना पड़ा है। वह अपने जीवन के आठ साल पाकिस्तान की जेल में बिता चुके हैं। जरदारी को उनकी पत्नी और देश की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजरी भुट्टो के कार्यकाल के दौरान हर प्रोजेक्ट को सैंक्शन करने के बदले कमीशन मांगने के लिए याद किया जाता है। जरदारी पर आरोप था कि वह किसी परियोजना को मंजूरी दिलाने के लिए कम से कम 10% कमीशन की मांग किया करते थे। 

 

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