Pakistan Singh Gurudwara Parbhandak Committee: पाकिस्तान सिंह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) में हाल ही में हुए बदलाव ने पाकिस्तानी सिखों के एक वर्ग के साथ-साथ भारत सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी संघीय सरकार ने 13 पीएसजीपीसी सदस्यों को नोटिफाई किया है। जिनमें तीन आधिकारिक प्रतिनिधि हैं। इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के अध्यक्ष, धार्मिक मामलों और इंटरफेथ हार्मनी मंत्रालय के वरिष्ठ संयुक्त सचिव और तीर्थस्थलों के एक अतिरिक्त सचिव शामिल हैं।
बाकी 10 सदस्य हैं। इनके नाम रमेश सिंह अरोड़ा, तारा सिंह, ज्ञान सिंह चावला, सरवंत सिंह, सतवंत कौर, हरमीत सिंह, महेश सिंह, भगत सिंह, साहिब सिंह और डॉ ममपाल हैं। संघीय सरकार ने तीन साल के लिए सिख पवित्र स्थलों के नवीनीकरण, रखरखाव और संरक्षण की योजना 2004 के खंड 3 के अनुरूप पीएसजीपीसी का पुनर्गठन किया है। आने वाले दिनों में समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें अध्यक्ष और सचिव पदों का चुनाव होगा।
सूत्रों का कहना है कि पंजाब विधानसभा के अल्पसंख्यक सदस्य सरदार रमेश सिंह अरोड़ा के अध्यक्ष की भूमिका निभाने की संभावना है, जबकि सरदार तारा सिंह के सचिव के रूप में काम करने की उम्मीद है।
मंजीत सिंह भारत का वांछित
भारत सरकार ने अरोड़ा के बाबत अपनी चिंताओं को उठाया है, क्योंकि वह मंजीत सिंह पिंका के बहनोई हैं। मंजीत सिंह 1984 में श्रीनगर से लाहौर जा रहे एक विमान के अपहरण कांड में वांछित है। इसके अलावा, तारा सिंह को प्रतिबंधित संगठनों खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के स्वयंभू प्रमुख लखबीर सिंह रोडे का करीबी माना जाता था। रोडे की पिछले साल पाकिस्तान में मौत हो गई थी।
महेश सिंह पर रोडे से नजदीकी का भी आरोप लगा था। इसके अलावा नई कमेटी के 13 सदस्यों में शामिल ज्ञान सिंह चावला और डॉ. मीमपाल सिंह भी भारत विरोधी विचार रखते हैं।
एक सदस्य ने जताई आपत्ति
इस बीच, एक हिंदू-धर्मांतरित सिख ने इन नियुक्तियों पर आपत्ति जताई है। मौजूदा कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि रमेश अरोड़ा, तारा सिंह, महेश सिंह और भगत सिंह पहली पीढ़ी के परिवर्तित सिख हैं। अरोड़ा को पाकिस्तान में प्रतिष्ठित 'सितारा-ए-इम्तियाज' पुरस्कार प्राप्त करने के लिए भी चुना गया है।
पीएसजीपीसी के सदस्यों ने कहा कि पिछले साल उन्होंने पाकिस्तान में धार्मिक मामलों के मंत्रालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी कि धर्मांतरित सिखों की पहली पीढ़ी को पीएसजीपीसी का सदस्य बनाने और उन्हें किसी अन्य धार्मिक मामलों का प्रभार देने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
पीएसजीपीसी के एक अन्य सदस्य ने कहा कि जो लोग गुरु नानक देव जी द्वारा ननकाना साहिब में पहला उपदेश देने के बाद से सिख हैं, उन्हें किनारे कर दिया गया है। सदस्य ने कहा कि मुझे धर्मांतरित सिखों से कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन वे अभी-अभी स्कूल में आए हैं और वे सीधे प्रिंसिपल कैसे बन सकते हैं? इसलिए ऐसी नियुक्तियों के पीछे का मकसद संदिग्ध है।