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Papua New Guinea Violence:ओशिनियन देश पापुआ न्यू गिनी में रविवार को तीन कबीलों के बीच खूनी संघर्ष हुआ। इस हिंसा में 64 लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि सिकिन, अंबुलिन और काकिन कबीले के लोगों ने एक दूसरे पर ऑटोमैटिक हथियारों से फायरिंग की। इसके बाद देश के ऊपरी इलाके में तनाव बढ़ गया है।

Papua New Guinea Violence:ओशिनियन देश पापुआ न्यू गिनी में में तीन कबीलों के बीच खूनी संघर्ष का मामला सामने आया है। रविवार को सिकिन, अंबुलिन और काकिन कबीले से जुड़े लोगों ने एक दूसरे पर फायरिंग की। हजारों राउंड गोलियां चलाई गईं। इस हिंसा में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। यह कबीले एक दूसरे को प्रतिद्वंदी मानते हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि कबीलों के बीच आपसी वचर्स्व को लेकर संघर्ष हुआ।

वाबाग शहर के पास उलझे दो कबीले
बताया जा रहा है कि हिंसा देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से करीब 600 किलोमीटर नार्थ वेस्ट में स्थित वाबाग शहर के करीब हुई। कबीले के सदस्यों ने एक दूसरे के विरोधी गुटों पर ऑटोमैटिक हथियारों से फारिंग। न्यूज एजेंसी एफपी के मुताबिक सहायक पुलिस आयुक्त सैमसन कुआ ने बताया कि दो कबीलों ने विरोधी गुट पर रविवार तड़के घात लगाकर हमले किए थे। जिसके बाद ऊपरी इलाकों से खून से लथपथ 64 शव बरामद किए गए  हैं। अभी भी झाड़ियों में कुछ लाश पड़े होने की संभावना है। 

ग्राफिक वीडियो और तस्वीरें भी मिली
पुलिस को घटनास्थल से कथित तौर पर ग्राफिक वीडियो और तस्वीरें भी मिली हैं। सोमवार को अधिकारियों ने बताया कि सड़क किनारे और एक फ्लैटबेड ट्रक के पीछे खून से लथपथ शवों का ढेर पड़ा था। बता दें कि पापुआ न्यू गिनी में हाईलैंड कबीलों के बीच सदियों से संघर्ष होता रहा है। हालांकि बीते कुछ समय से  इस तरह की घटनाएं बढ़ गई हैं। कबीले के लोग अब एक दूसरे पर हमले को अंजाम देने के लिए ऑटोमैटिक हथियारों का इस्तेमाल करने लगे हैं। यही वजह है कि हाल के दिनों में होने वाले ऐसे कबिलाई संघर्ष पहले से कहीं ज्यादा घातक साबित हो रहे हैं। 

ऑटोमैटिक हथियारों का हुआ इस्तेमाल
पुलिस के मुताबिक, खूनी संघर्ष के दौरान एम-16, एके-47, एआर-15 और एम-4 जैसे आधुनिक ऑटोमैटिक राइफल का इस्तेमाल किया गया। इसके साथ ही पंप एक्शन शॉटगन और घर में तैयार किए गए हथियारों सेभीर हमले किए गए। संघर्ष में शामिल कबीलों के पास एक शस्त्रागार होने की बातें भी सामने आई है। एएफपी के मुताबिक, वाबाग के पास किसी सुदूर ग्रामीण इलाके में जनजातीय गुटों में लड़ाई चल रही है। बता दें कि पापुआ न्यू गिनी का ऊपरी इलाकों में लंबे समय से जनजातीय हिंसा होती रही है। इसकी वजह से सामूहिक नरसंहार के कई मामले भी सामने आए हैं। 

सरकार ने हिंसा कंट्रोल करने की कई कोशिश की
पापुआ न्यू गिनी की सरकार ने हिंसा को कंट्रोल करने की कई कोशिशें की हैं। जनजातीय गुटों में सुलह कराया गया है। दोषियों से माफी मंगवाई गई है। दूसरी रणनीतियां भी अपनाई गई हैं, लेकिन हिंसा को नियंत्रित करने में बेहद कम सफलता मिली है।इस तरह के खूनी संघर्ष अक्सर दूरदराज के इलाकों में होते हैं। कबीले के लोग एक दूसरे पर हुए पुराने हमलों का बदला लेने के लिए घात लगाकर विरोधी गुटों पर हमले को अंजाम देते हैं। इससे पहले देश में जनजातीय संघर्ष में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भी निशाना बनाया जा चुका है। इस तरह के हमले में हत्याओं को बेहद हिंसक तरीके से अंजाम दिया जाता है। लोगों को छुरी से काट दिया जाता , शवों को क्षत-विक्षत कर दिया जाता है। 

पापुआ न्यू गिनी में पुलिस की स्थिति बदहाल
पापुआ न्यू गिनी में पुलिस की स्थिति भी बदहाल है। पुलिस की अक्सर शिकायत रही है कि उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। पुलिस अफसरों को काफी कम वेतन मिलता है। आदिवासियों के हाथों में जो ऑटोमैटिक हथियार पहुंचे हैं,उनमें से बहुत सारे हथियार पुलिस के ही बताए जाते हैं। रविवार की रात हुई हिंसा के बाद प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में और ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि पापु न्यू गिनी की जनसंख्या 1980 के बाद से दोगुनी हो चुकी है। इसकी वजह से से जमीन और संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। कबिलाई गुटों में आपसी प्रतिद्वंद्विता और पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। 

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