S Jaishankar Russia visit: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। बुधवार को दौरे के दूसरे दिन जयशंकर ने मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत रूस के संबंध बेहद मजबूत हैं। इसकी स्थिरता बरकरार है। यह हमारे साथ आगे बढ़ने की रणनीतिक और जियो-पॉलिटल हितों के मुताबिक हैं। हमारा व्यापार अभी तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है। भारत ने पिछले साल रुस के साथ 58 अरब डॉलर का कारोबार किया। इस साल हमें इससे ज्यादा कारोबार होने की उम्मीद है।
#WATCH | Moscow: External Affairs Minister S Jaishankar says, " ... India-Russia relations remain very steady, remain very strong. They are based on our strategic convergence, on our geopolitical interests, and because they are mutually beneficial. We spent a lot of time… pic.twitter.com/PVgnsMdqIH
— ANI (@ANI) December 27, 2023
फ्री ट्रेड एग्रिमेंट पर आगे बढ़ेगी बातचीत
एस जयशंकर ने कहा कि इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ कॉरीडोर बड़ी प्राथमिकता है। इसके लिए राजनीति और वैश्विक बदलने की जरूरत है। भारतीय विदेश मंत्री ने बताया कि सर्गेई के साथ भारत-रुस व्यापार को बढ़ाने पर बातचीत की। इसके साथ ही ब्रिक्स समेत दूसरे इंटरनेशनल मुद्दों पर भी चर्चा हुई। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि रुस और भारत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में काम करेंगे। इसके लिए यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ बातचीत अगले साल जनवरी में शुरू होगी।
रणनीति साझेदारी बढ़ाने पर जोर
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा की। इस दौरान कई वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई। उन्होंने भारत-प्रशांत मामलों, यूक्रेन युद्ध, गाजा के मौजूदा हालात, अफगानिस्तान, मध्य एशिया सहित विभिन्न मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया। विदेश मंत्री ने बताया कि इस दौरान ब्रिक्स, एससीओ, जी20 और यूएन जैसे संगठनों के बारे में भी चर्चा हुई।
आर्थिक सहयोग और ऊर्जा व्यापार पर चर्चा
दोनों नेताओं के बीच आर्थिक सहयोग, ऊर्जा व्यापार, कनेक्टिविटी, सैन्य-तकनीक संबंधों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर बात हुई। इसके अलावा 2024-28 के बीच एक दूसरे से विभिन्न मसलों पर सलाह देने के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। भारत और रूस के बीच संबंधों को मजबूती देनेंए दोनों राष्ट्रों को कैसे लाभ पहुंचाया जाए इस मुद्दे पर भी अहम चर्चा हुई।