Logo
South Africa Presidential Election: साउथ अफ्रीका में सिरिल रामफोसा लगातार दूसरी बार देश के राष्ट्रपति बन गए हैं। उनकी पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) ने सरकार बनाने के लिए सबसे बड़े विपक्षी दल डेमोक्रेटिक अलायंस (DA) के साथ गठबंधन किया है।

South Africa Presidential Election: साउथ अफ्रीका में सिरिल रामफोसा लगातार दूसरी बार देश के राष्ट्रपति बन गए हैं। उनकी पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) ने सरकार बनाने के लिए सबसे बड़े विपक्षी दल डेमोक्रेटिक अलायंस (DA) के साथ गठबंधन किया है। इस गठबंधन के साथ, सरकार के पास संसद में 400 में से 283 सीटें हैं। यह पिछले तीन दशक में पहली बार है जब नेल्सन मंडेला की बनाई ANC पार्टी ने देश में गठबंधन की सरकार बनाई है।

आम चुनाव में ANC को नहीं मिला बहुमत
29 मई को हुए आम चुनाव में ANC को 40% वोट मिले, जो कि बहुमत से कम था। वहीं, DA को 22% वोट मिले। चुनाव में बहुमत न मिलने के कारण पिछले दो हफ्तों से ANC गठबंधन की कोशिश कर रही थी। शुक्रवार को देश के दो सबसे बड़े दलों ने साथ आकर सरकार बनाने की घोषणा की।

रामफोसा बोले- देश में नए युग की शुरुआत
गठबंधन की घोषणा के बाद राष्ट्रपति रामफोसा ने कहा कि मेरे लिए यह बड़े सम्मान की बात है मुझे दूसरी बार देश की सेवा का मौका मिल रहा है। एक-दूसरे का विरोध करने वाली दो पार्टियों ने आज साथ आकर सरकार का गठन किया है। यह साउथ अफ्रीका में एक नए युग की शुरुआत है। ANC की हार के पीछे देश में बढ़ती गरीबी, अपराध, भ्रष्टाचार और असमानता को कारण माना जा रहा है।

DA पार्टी की सरकार में एंट्री और बदलाव
DA पार्टी की सरकार में एंट्री को एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। DA लंबे समय से मंडेला की पार्टी द्वारा अश्वेतों को सशक्त करने के लिए लागू की गई नीतियों का विरोध करती रही है। उनका मानना है कि इन नीतियों से केवल राजनेताओं को फायदा हो रहा है, आम नागरिकों को नहीं।

दक्षिण अफ्रीका में कब मिला अश्वेतों को वोटिंग का अधिकार
1994 से पहले दक्षिण अफ्रीका में अश्वेतों को वोट देने का अधिकार नहीं था। रंगभेद के खिलाफ लंबे संघर्ष के बाद पहली बार 1994 में पूर्ण लोकतांत्रिक चुनाव हुआ। इसमें नेल्सन मंडेला की ANC को 62.5% वोट मिले। 2004 में ANC को 70% के करीब मत मिले, लेकिन इसके बाद से उनका वोट प्रतिशत कम होता गया।

मौजूदा समय में दक्षिण अफ्रीका की स्थिति
दक्षिण अफ्रीका को अफ्रीका महाद्वीप का सबसे उन्नत देश माना जाता है, लेकिन देश में गरीबी और बेरोजगारी चरम पर है। विश्व बैंक के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका में बेरोजगारी दर 32% है। 15-35 आयु वर्ग के 45.50% युवा बेरोजगार हैं। देश में आधे से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और यहां अमीरी-गरीबी की खाई काफी गहरी है।

देश के चुनावी मुद्दे और समस्याएं
दक्षिण अफ्रीका में बढ़ती अपराध की घटनाएं, नेताओं के भ्रष्टाचार के मामले और बिजली कटौती के बढ़ते मामलों से जनता परेशान है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में जहां 141 घंटे बिजली कटी थी, वहीं 2023 में यह बढ़कर 6947 घंटे हो गई।

5379487