Sunita Williams:भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स पिछले 12 दिन से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं (Sunita Williams Stuck in Space)। सुनीता के साथ एस्ट्रोनॉट भी बुच विल्मोर भी अंतरिक्ष में फंस गए हैं। दोनों एस्ट्रोनॉट को 13 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी पर वापस आना था। लेकिन, नासा की बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण चौथी बार उनकी वापसी टाल दी गई है। सुनीता और विल्मोर 6 जून को ISS पहुंचे थे। पहली बार उनकी वापसी 9 जून को टाली गई थी। फिलहाल, नासा ने दोनों एस्ट्रोनॉट की वापसी की अब कोई नई तारीख नहीं बताई है, लेकिन कहा है कि उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है।
स्पेसक्राफ्ट में हो रहा है हीलियम लीकेज
बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में हीलियम लीकेज हो रहा है। इसकी वजह से एस्ट्रोनॉट्स की वापसी टाली गई है। NASA और बोइंग को इस तकनीकी खराबी की पहले से जानकारी थी, लेकिन इसे मामूली मानकर मिशन शुरू कर दिया गया।अब नासा ने बताया है कि दोनों अंतरिक्ष यात्री किसी खतरे में नहीं हैं। 6 जून को ISS पहुंचने के बाद स्टारलाइनर के 28 रिएक्शन कंट्रोल थ्रस्टर्स में से पांच फेल हो गए थे। इनमें से चार थ्रस्टर्स को बाद में ठीक कर लिया गया। वीकेंड यानी कि बीते शुक्रवार को बोइंग और नासा की टीम ने थ्रस्टर हॉट-फायर टेस्ट किया था।
- सुनीत विलियम्स और बुच विल्मोर ने 10 जून को ISS से NASA कंट्रोल रूम में बैठे अपने साथियों से बात की थी। देखें वीडियो:
LIVE: @NASA_Astronauts Butch Wilmore and Suni Williams speak with @SenBillNelson and agency leaders about their ongoing #Starliner mission on a call from the @Space_Station. https://t.co/1T7byBbzOL
— NASA (@NASA) June 10, 2024
स्पेसक्राफ्ट में धीरे-धीरे कम हो रहा फ्यूल
बोइंग के स्टारलाइनर प्रोग्राम मैनेजर मार्क नप्पी के अनुसार, स्पेसक्राफ्ट की डिजाइन में खामी है। स्टारलाइनर की फ्यूल कैपेसिटी 45 दिन की है, जिसमें से 18 दिन गुजर चुके हैं और अब केवल 27 दिन का फ्यूल बचा है। NASA और बोइंग के इंजीनियर सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की सुरक्षित वापसी के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। वापसी तभी संभव है जब सभी दिक्कतों को दूर कर लिया जाएगा और स्पेसक्राफ्ट को सुरक्षित माना जाएगा।
मिशन लॉन्च के दौरान भी आई थी समस्याएं
मिशन लॉन्च की तारीख को दो बार टाला गया था। पहली बार इसे 7 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन टीम को ULA के एटलस V रॉकेट की सेकेंड स्टेज में समस्या मिली। दूसरी बार इसे 1 जून को लॉन्च करने की कोशिश की गई, लेकिन ग्राउंड लॉन्च सीक्वेंसर ने काउंटडाउन क्लॉक को रोक दिया। अंततः, तीसरी बार में मिशन लॉन्च किया गया और स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट 6 जून को ISS पहुंचा।
कैसे होगी स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग
पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते वक्त बोइंग स्टारलाइनर की स्पीड कम होने लगेगी। रीएंट्री स्टेज में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे से कम होने लगेगा। रिएंट्री फेज के दौरान स्पेसक्राफ्ट के क्रू मेम्बर्स को 3.5 g तक का वजन महसूस हो सकता है। रीएंट्री होते ही पैराशूट सिस्टम की सुरक्षा के लिए हीट शील्ड हटाई जाएगी। दो ड्रैग और तीन मुख्य पैराशूट स्टारलाइनर की गति को धीमा करेंगे। लैंडिंग के दौरान स्पेसक्राफ्ट की गति करीब 6 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। संभावित लैंडिंग स्थानों में एरिजोना और यूटा शामिल हैं।
क्यों अहम है बोइंग का स्टारलाइनर मिशन
अगर यह मिशन सफल होता है, तो अमेरिका के पास पहली बार दो स्पेसक्राफ्ट होंगे, जिनसे एस्ट्रोनॉट को स्पेस में भेजा जा सकेगा। अभी अमेरिका के पास केवल स्पेसएक्स का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट है। नासा ने 2014 में स्पेसएक्स और बोइंग को स्पेसक्राफ्ट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। स्पेसएक्स 4 साल पहले ही इसे बना चुकी है और अब बोइंग के स्टारलाइनर की बारी है।
तीसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर हैं सुनीता विलियम्स
59 वर्षीय सुनीता विलियम्स इससे पहले दो बार अंतरिक्ष यात्रा कर चुकी हैं। 2006 और 2012 में उन्होंने कुल 322 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं। 2012 में उन्होंने तीन बार स्पेस वॉक की थी। सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की है, उनसे पहले कल्पना चावला अंतरिक्ष जा चुकी थीं। सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में कई रिकॉर्ड बना चुकी हैं। इस मिशन के लॉन्चिंग के साथ ही सुनीता विलियम्स ने स्पेसक्राफ्ट ऑपरेट करने वाली पहली महिला एस्ट्रोनॉट होने का रिकॉर्ड बनाया था।
कौन है सुनीता विलियम्स, कितना है अनुभव?
सुनीता विलियम्स 1987 में यूएस नेवल एकेडमी से ग्रेजुएट होने के बाद NASA पहुंचीं। 1998 में उन्हें एस्ट्रोनॉट चुना गया। उनके पिता दीपक पांड्या 1958 में अहमदाबाद से अमेरिका गए थे। सुनीता का जन्म 1965 में हुआ। अमेरिकी नेवल एकेडमी से ग्रेजुएट होने के बाद, सुनीता लड़ाकू विमान उड़ा चुकी हैं। उनके पास 30 तरह के लड़ाकू विमानों पर तीन हजार से ज्यादा घंटों की उड़ान का अनुभव है।