Taliban warns Pakistan:पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले ईरान ने पाकिस्तान की सीमा में हवाई हमले किए, अब तालिबान ने इसे चेतावनी दी है। तालिबान के डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई ने कहा है कि हम डूरंड लाइन को कभी भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान का ऑफिशियल बॉर्डर नहीं मानेंगे। साथ ही उन्होंने चेतया कि अगर पाकिस्तान सीमा पर रह रहे अफगानी कबीलों को बाहर निकाला गया तो ठीक नहीं होगा। जिस तरह भारत ने 1971 में बांग्लादेश को अलग किया था। हम भी वैसे ही करेंगे। इतिहास दोहराया जाएगा।
अंग्रेजों ने अफगानियों के दिल पर खींची थी डूरंड लाइन
शेर मोहम्मद ने कहा कि अफगानिस्तान का आधा हिस्सा डूरंड लाइन की दूसरी ओर है। हमने कभी डूरंड लाइन को स्वीकार किया है और ना ही कभी स्वीकार करेंगे। यह एक काल्पनिक रेखा है जो अंग्रेजों ने अफगानियों के दिल पर खींचा था। अब अफगानिस्तान की पूर्वी सीमा पर हमारे पड़ोसी अफगान शरणार्थियों को बाहर भेज रहा है। उन्हें दबाया जा रहा है। उन्हें कहा जा रहा है कि अपने देश वापस जाओ। उन्हें ऐसा करने में शर्म नहीं आ रही। उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं है कि वह देश अफगानियों का भी है सिर्फ पाकिस्तानियों का नहीं।
Taliban Deputy FM Abbas Stanakzai: The history of Bangladesh's separation from Pakistan shall be repeated. pic.twitter.com/kF7JY8qBQM
— Frontalforce 🇮🇳 (@FrontalForce) February 17, 2024
'पासपोर्ट यो वीजा मांगा तो स्वीकार नहीं होगा'
तालिबान के विदेश मंत्री ने कहा कि अगर पाकिस्तान ने डूरंड लाइन पर कंटीले तार लगाए या फिर पासपोर्ट या वीजा की मांग की, तो यह हमें बिल्कुल मंजूर नहीं होगा। ऐसा कभी भी नहीं होगा। कोई भी अफगानिस्तान-पाकिस्तान पर रहने वाले कबीलाई लोगों को एक दूसरे से नहीं बांट सकता। अगर ऐसा हुआ तो ठीक वैसा ही होगा जैसा 1971 में बांग्लादेश के अलग होते वक्ता हुआ था। अल्लाह की दुआ से उस जमीन को आजाद कराया जाएगा। इतिहास दोहराया जाएगा।
पाकिस्तान ने भी किया पलटवार
तालिबानी उप विदेश मंत्री ने कहा कि बीते 20 साल में जो भी गोलियां, तोपों के गोले यहां अफगानिस्तान की ओर आए, जो भी हवाई जहाज यहां आए और हमारे मुजाहिदों को निशाना बनाया, अफगानिस्तान के स्थिर होते ही एक-एक गोली का बदला लिया जाएगा। वहीं पाकिस्तान ने भी इस बयान पर पलटवार किया है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा, पाक-अफगानिस्तान सीमा की वैधता बारे में कोई भी फैन्सी और काल्पनिक दावा भूगोल, इतिहास और अंतरराष्ट्रीय कानून के तथ्यों को नहीं बदल सकता है।
क्या है डूरंड लाइन और यह कब अस्तित्व में आया
डूरंड लाइन1893 में खींची गई थी। ब्रिटिश इंडिया के रेप्रेजेंटेटिव सर मोर्टिमर डूरंड और अफगानिस्तान के अमीर अब्दुर रहमान खान के बीच हुए एक समझौते के बाद यह लाइन अस्तित्व में आई। इस समझौते में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पश्तू और बलूच लोगों को बांटा गया था। 1947 में पाकिस्तान के आजाद होने के बाद से अब तक यह लाइन दोनों मुल्कों के बीच बॉर्डर का काम करती है। पाकिस्तान का दावा है कि डूरंड लाइन ही ऑफिशियल बॉर्डर है। वहीं, अफगानिस्तान हमेशा से इस दावे को खारिज करता रहा है। बता दें कि डूरंड लाइन की लंबाई 2,6