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US Election 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए कल 5 जून को वोटिंग होगी। इस बार रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी में कांटे देखने के लिए मिल रही है। हालिया सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस की लोकप्रियता 48 फीसदी के साथ बराबरी पर है।

US Election 2024: अमेरिका में इस बार का राष्ट्रपति चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। 5 नवंबर को होने वाले इस चुनाव में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच कांटे की टक्कर देखने के लिए मिल रही है। हालिया सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस की लोकप्रियता 48 फीसदी के साथ बराबरी पर बनी हुई है। US के राष्ट्रपति चुनाव पर पूरी दुनिया की नजरें हैं।

इस चुनाव का असर पूरी दुनिया पर दिखाई दे सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप के जीतने पर अमेरिका की नीतियों में बदलाव देखने को मिल सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी ट्रंप का माइंडसेट अलग है। 

आज हम आपको अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी कुछ बातों के अलावा यह भी बताएंगे कि इस चुनाव का भारत पर क्या असर पड़ेगा। आइए इसके बारे में जानते हैं...

अमेरिका में कैसे होती है वोटिंग?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तुलना अगर भारत में होने वाले आम चुनावों से करें तो दोनों में काफी अंतर होता है। भारत में वोटिंग के 36 घंटे पहले प्रचार का शोर थम जाता है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के अंतिम चरण में वोटिंग की मुख्य तारीख से कुछ हफ्ते पहले से मतदान शुरू हो जाते हैं। अमेरिका में मुख्य तारीख से पहले डालने की प्रक्रिया को प्रारंभिक मतदान यानी अर्ली-वोटिंग कहा जाता है।

इसके जरिए मतदाता व्यक्तिगत तौर पर (in-person methods) और मेल-इन-बैलेट (mail ballots) के जरिए वोट डालते हैं। अब तक अमेरिका में 7.21 करोड़ से अधिक मतदाता प्रारंभिक मतदान के जरिए अपना वोट डाल चुके हैं। वहीं मंगलवार को मतदाता राज्यों में बनाए गए बूथों पर जाकर मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे।

EVM या बैलेट, कैसे होती है वोटिंग?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ज्यादातर वोटिंग बैलेट से होती है। साल 2000 में जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुए तब चुनावी प्रक्रिया थोड़ी अलग थी। बैलेट पेपर के साथ पंच-कार्ड वोटिंग मशीन से वोट डाले जाते थे, लेकिन यह चुनाव काफी विवादों में घिर गया।

फ्लोरिडा में चुनाव के नतीजों पर सवाल उठे, रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने अपने प्रतिद्वंद्वी अल गोर को 537 वोटों के अंतर से हरा दिया। चुनाव इतना विवादित था कि अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट को रिकाउंटिंग की प्रक्रिया बीच में ही रुकवा कर बुश को विजेता घोषित करना पड़ा।

इसके बाद अमेरिका ने 2002 में वोटिंग में सुधार को लेकर बिल पास किया गया। हेल्प अमेरिका वोट एक्ट के पास होते ही सरकार ने अरबों डॉलर से खरीदे जाने वाले ‘डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक’ (DRE) मशीनें खरीदनी बंद कर दी, क्योंकि इस मशीन के जरिए होने वाली वोटिंग का कोई पेपर ट्रेल नहीं था। साल 2006 में पेपरलेस मशीन से मतदान के लिए रजिस्टर्ड वोटर्स का आंकड़ा बढ़ गया, जबकि हाथ से मार्क किए गए पेपर बैलेट सबसे अधिक प्रसिद्ध हो रहे थे, इन बैलेट पेपर को इलेक्ट्रॉनिक टैब्यूलेटर्स स्कैन कर रखते थे।

इसके एक दशक के बाद तक कुल वोटों का करीब एक तिहाई हिस्सा DRE मशीन (EVM जैसी मशीन) से डाला जाता था। BrennanCenter.org के मुताबिक, 2014 तक 25 फीसदी वोटर्स पेपरलेस मशीन का इस्तेमाल करते थे, लेकिन 2016 में बैलेट की ओर बड़ा शिफ्ट देखा गया।

US चुनाव का भारत पर क्या होगा असर? 
2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जब जो बाइडेन की जीत हुई थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले उनको बधाई दी थी। इसके बाद बीते कुछ सालों में भारत और अमेरिका के रिश्ते स्थिर ही रहे हैं। भारत के लिहाज से ट्रंप का चुनाव जीतना ज्यादा फायदेमंद होगा। अभी बाइडेन की विदेश नीति की वजह से रूस, चीन के ज्यादा करीब जा रहा है, जबकि, भारत ऐसा नहीं चाहता।

जबकि ट्रंप सरकार बनने से रूस और अमेरिका के रिश्ते सुधर सकते हैं। इससे वैश्विक स्तर पर भारत मजबूत होगा। ट्रंप जीतें या फिर कमला हैरिस, दोनों ही भारत को अपने साथ रखेंगे, क्योंकि इंडो-पैसिफिक रीजन में भारत ही है जो चीन का मुकाबला कर सकता है।

अभी चीन का दबदबा कम करने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है। अगर कमला हैरिस जीतती हैं तो भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और मजबूत करने की कोशिश कर सकती हैं। बाइडेन सरकार में अमेरिका और भारत ने सैन्य अभ्यास, हथियारों की खरीद और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसी चीजें मजबूत हुई हैं। हालांकि, ट्रंप के आने पर भी भारत और अमेरिका के बीच ऐसे ही संबंध बने रहने की संभावना है।
 

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