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Israel-Iran Conflict: सऊदी अरब, युनाइटेड अरब अमीरात, जॉर्डन और कतर जैसे ऑयल समृद्ध देशों को टारगेट करते हुए, सीक्रेट डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए चेतावनी दी गई, ये सभी अमेरिकी सैन्य बलों की मेजबानी करते हैं।

Israel-Iran Conflict: ईरान ने अपने पड़ोसी अरब देशों और खाड़ी क्षेत्र में मौजूद अमेरिका के सहयोगी देशों को सख्त चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने इजरायल की किसी भी संभावित हमले में मदद की तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, यह चेतावनी सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), जॉर्डन और कतर जैसे ऑयल समृद्ध देशों को सीक्रेट डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए भेजी गई है। ये देश सैन्य ठिकानों के लिए अमेरिकी मिलिट्री की मेजबानी करते हैं।

ईरान के मिसाइल अटैक के बाद इजरायल ने दी थी धमकी
ईरान की यह चेतावनी ऐसे वक्त में आई है, जब इजरायल ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल अटैक के बाद जवाबी कड़ी कार्रवाई की धमकी दी है। इजरायल ने इस अटैक के जवाब में ईरान के परमाणु और ऑयल स्ट्रक्चर पर हमला करने की तैयारी की है, जिसे वह तेहरान की आक्रामक सैन्य नीति को कमजोर करने के लिए जरूरी मानता है। वहीं, ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर उसके खिलाफ कोई हमला हुआ तो वह इजरायल और उन अरब देशों के नागरिक बुनियादी ढांचे पर भी हमला करेगा, जो इस हमले में किसी भी तरह की मदद करेंगे।

गल्फ रीजन में अमेरिकी सैनिकों की भारी मौजूदगी चिंताजनक
रिपोर्ट के मुताबिक, इन अरब देशों ने बाइडेन प्रशासन को पहले ही सूचित कर दिया है कि वे अपनी सैन्य सुविधाओं या हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल ईरान पर किसी हमले के लिए नहीं होने देंगे। उन्हें डर है कि इस तरह के संघर्ष में उलझने से उनके तेल डिपो और अन्य बुनियादी ढांचे हमले का शिकार हो सकते हैं। गल्फ रीजन अमेरिकी सैनिकों की भारी मौजूदगी की वजह से संवेदनशील है, और किसी भी सैन्य कार्रवाई में अमेरिकी सैनिक भी जोखिम में आ सकते हैं। इन देशों की एक बड़ी चिंता ये है कि अगर इस तनाव से युद्ध छिड़ता है, तो इसका ग्लोबल ऑयल मार्केट पर क्या असर पड़ेगा। 

ईरान पर अटैक हुआ तो चरमराएगी ऑयल सप्लाई 
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति में हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य से गुजरने वाले ऑयल एक्सपोर्ट में रुकावट आ सकती है, जो ग्लोबल एनर्जी सप्लाई के लिए एक अहम रूट है। इससे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और ग्लोबल बाजार अस्थिर हो सकते हैं। सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों ने साफ तौर पर कहा कि वे ईरान के खिलाफ किसी भी हमले में शामिल नहीं होना चाहते, क्योंकि उन्हें अपने तेल ढांचे पर हमले का खतरा है।

ईरानी तेल और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री पर नए प्रतिबंध
उधर, दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। यह प्रतिबंध उन जहाजों और कंपनियों पर लगाए गए हैं जो ईरानी तेल के व्यापार में लगे हुए थे और प्रतिबंधों को दरकिनार कर रहे थे। अमेरिकी वित्त और विदेश मंत्रालय ने कई कंपनियों और जहाजों को प्रतिबंधित किया है जो ईरानी एनर्जी इंडस्ट्री की आय को ईरान के मिसाइल कार्यक्रमों और क्षेत्रीय मिलिशिया के लिए इस्तेमाल किए जाने से रोकने के लिए है।

ईरान पर प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका ने क्या कहा?

  • अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा- "ये प्रतिबंध ईरान की एनर्जी इनकम को उसके घातक और अस्थिर गतिविधियों में जाने से रोकने के लिए हैं, जिसमें उसका परमाणु प्रोग्राम और बैलिस्टिक मिसाइलों का प्रसार भी शामिल है।"
  • तनाव से अरब देशों और इज़रायल के बीच के नाजुक रिश्तों में और जटिलता आ रही है। इन देशों का कॉमन टारगेट ईरान के प्रभाव को सीमित करना है, लेकिन वे सीधे सैन्य संघर्ष में नहीं उलझना चाहते, जिससे पूरा क्षेत्र युद्ध की चपेट में आ सकता है। कुछ अरब देशों जैसे- जॉर्डन ने पहले इजरायल की मदद की थी, लेकिन ईरान पर सीधे हमले करना उनके लिए कहीं ज्यादा जोखिम भरा साबित हो सकता है।
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